रिश्वत लेकर गाड़ी छोडऩे वाले एएसआइ पर गिरी गाज, लगा दंड का चाबुक
बेगूसराय डीआइजी ने भागलपुर एसएसपी को दिया मामले में जांच का आदेश। जांच में कई बिंदुओं को शामिल किया गया है। एसएसपी के निर्देश पर प्रारंभिक जांच में पता चला गंगा किनारे घर बनाकर रहता है आरोपित एएसआइ बालानंद।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। बेगूसराय के नयागांव थाने में तैनात रहे सहायक अवर निरीक्षक बालानंद झा को उनका अतीत पीछा नहीं छोड़ा है। 16 फरवरी 2010 को उन्होंने टाटा-407 गाड़ी को फर्जी तरीके से जब्त कर उसे मुक्त करने में गाड़ी मालिक से रिश्वत ली थी। निगरानी की टीम ने उन्हे तब रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया था। उस मामले में चली विभागीय कार्यवाही में उनका पेंशन रोकने की कवायद शुरू करते हुए उसके विरुद्ध दस दिनों के अंदर बेगूसराय डीआइजी ने स्पष्टीकरण मांग लिया था। पूर्ण पेंशन रोकने की कार्रवाई को लेकर मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब दस दिनों के अंदर नहीं देने पर बेगूसराय डीआइजी ने भागलपुर की एसएसपी निताशा गुडिय़ा को पत्र भेजा है। सेवानिवृत हो चुके एएसआई बालानंद जोगसर थानाक्षेत्र में गंगा किनारे मकान बना रह रहे हैं। एसएसपी के निर्देश पर जोगसर थानाध्यक्ष ने बालानंद की कुंडली खंगाल मामले में अपनी रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी है। जोगसर थानाध्यक्ष अजय कुमार अजनवी ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि बालानंद झा सेनानिवृत हो गंगा किनारे नरकटिया गली में घर बनाकर रह रहे हैं। घर जाने पर बालानंद उपलब्ध नहीं मिले। उनके लड़के प्रशांत कुमार झा को नोटिस प्राप्त करा दिया है। विभागीय कार्रवाई के विरुद्ध् मांगे गए स्पष्टीकरण नहीं देने पर पूर्ण पेंशन पर रोक की कार्रवाई की जानी है। हालांकि बालानंद झा का कहना है कि उन्होंने अपना स्पष्टीकरण डीआइजी बेगूसराय के कार्यालय में तीन फरवरी 2021 को ही जमा करा चुका हूं। ऐसे में फिर स्पष्टीकरण के लिए नोटिस से बालानंद और उनके स्वजन भी पेशोपेश में हैं।
रिश्वत लेने और कर्तव्यपालन में घोर अनुशासनहीनता में चल रही थी विभागीय कार्यवाही
एएसआइ बालानंद झा के विरुद्ध् 16 फरवरी 2010 में 11 बजे दिन को चाय की दुकान पर वाहन मालिक प्रमोद सिंह से 15 सौ रुपये की रिश्वत लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने रंगे हाथ पकड़ लिया था। नाव कोठी थाना रिजर्व बल के सहयोग से टाटा 407 को पकड़ कर थाने लाए थे। गाड़ी मालिक ने जब गाड़ी पकडऩे का कारण पूछा था तो बताया था कि एक्सीडेंट का केस हुआ है। गाड़ी मालिक ने न्यायालय जाकर पता किया तो पता चला कि उनकी गाड़ी नंबर संबंधी कोई केस ही नहीं हुआ था। मामले में तब उनपर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। उनपर रिश्वत लेने, कर्तव्यपालन में घोर अनुशासनहीनता, कर्तव्यहीनता,संदिग्ध आचरण ओर अयोग्य पुलिस पदाधिकारी होने का आरोप लगा था। जांच में यह सत्य पाया गया कि गाड़ी मालिक के लाख अनुरोध करने पर भी पहले एमवीआइ को कागजात भेजने के नाम पर रुपये लेने। चाय की दुकान पर रिश्वत की रकम लेकर बुलाने जैसी बात की। तब नावकोठी थाने में निगरानी की टीम ने बालानंद को पकड़ लिया था।