मुंगेर में चलता है कार्रवाई का डंडा तो जमुई में लगती है ट्रकों की लाइन
वाहनों के ओवरलोडिंग से टूट रही जमुई जिले की सड़कें। जिला प्रशासन बैठा है खामोश। चेक पोस्ट के बैरियर से जिला प्रशासन बचा रहा दामन। मंझवे और कटौना में लगाए गए दो चेक पोस्ट। इसके बावजूद लगातार यहां ओवरलोड वाहनों का परिचालन हो रहा है।
संवाद सहयोगी, जमुई। कभी सड़कों के टूटने पर गुणवत्ता को लेकर प्रदेश में काफी बवाल मचा था। तब मुख्यमंत्री ने खुद से हस्तक्षेप किया था और 12 चक्का तथा उससे ऊपर के मालवाहक वाहनों पर गिट्टी और बालू की ढुलाई प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसके विपरीत जमुई जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के उक्त आदेश की परवाह कहां.ज्। आखिर तभी तो जिले की सड़कों पर निर्बाध गति से 12 और 14 चक्का से लेकर 22 चक्का के ट्रकों पर बालू और गिट्टी की ढुलाई जारी है। इसकी बानगी यूं तो हर दिन मुख्य सड़क से लेकर ग्रामीण सड़कों पर दिखती है लेकिन कभी-कभी इसका विशेष रूप देखने को मिल जाता है।
खासकर जब मुंगेर जिला प्रशासन की ओर से गंगटा, संग्रामपुर और खड़कपुर थाना क्षेत्र में कार्रवाई का डंडा चलता है। तब गंगटा जंगल से लेकर लक्ष्मीपुर बाजार और कोहबरबा मोड़ से जिनहरा मार्ग में दो किलोमीटर लंबी लाइन लग जाती है। यह कतार घंटों लगी रहती है लेकिन जमुई जिला प्रशासन अनजान बना रहता है। अभी दो दिन पहले की ही तो बात है। गंगटा में ओवरलोडिंग के खिलाफ मुंगेर प्रशासन की कार्रवाई चल रही थी।
यहां जंगल से लेकर लक्ष्मीपुर तक ऐसा जाम लगा कि सवारी वाहनों सहित अन्य वाहनों को निकलने में पांच घंटे से अधिक समय तक मशक्कत करनी पड़ी। हैरत की बात है कि उक्त अवधि में ओवरलोड बालू ट्रकों के खिलाफ प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। वैसे इन सब के खिलाफ अभियान चलाने की बात परिवहन पदाधिकारी कहते जरूर हैं लेकिन सरकारी मोबाइल नंबर पर जब भी आप फोन करें तो स्विच आफ ही बताता है। सोनू कुमार, शैलेश भारद्वाज, रत्नेश कुमार सहित अभाविप के अन्य कार्यकर्ता कहते हैं कि बाइक पर ट्रिपल लोड नजर आते ही परिवहन पदाधिकारी का गुस्सा देखते बनता है लेकिन ट्रकों और बसों पर ओवरलोङ्क्षडग देखकर पता नहीं इन्हें कुछ होता है भी या नहीं।
टैक्स की हो रही चोरी
बालू की ओवरलोडिंग से न सिर्फ सड़कों का नुकसान हो रहा है बल्कि टैक्स की चोरी भी बड़े पैमाने पर हो रही है। जानकार बताते हैं कि खनन चालान के साथ जीएसटी, स्टांप ड्यूटी सहित अन्य टैक्स को मिलाकर 28 प्रतिशत राशि सरकार के खजाने में जमा होती है। यहां 400/500 सीएफटी के चालान पर 800 से एक हजार सीएफटी बालू की बिक्री व परिवहन परवान पर है।
एंट्री का खेल
परिवहन विभाग में एंट्री का खेल कोई नई बात नहीं है। पहले यह दायरा गिट्टी लदे ट्रकों और चकाई तक सिमटा होता था। अब बालू का कारोबार शुरू होने के बाद चकाई के अलावा सोनो, गिद्धौर, खैरा और जमुई में भी इंट्री कराने वाले दलाल सक्रिय हो गए हैं। यहां ट्रक मालिक एवं परिवहन विभाग में सक्रिय दलालों की सांठगांठ होती है। निश्चित रकम भुगतान हो जाने के पश्चात उन ट्रकों को एक कोड नंबर दिया जाता है। उस कोड के सहारे वह जिला से पार कर जाता है। अगर कोई अधिकारी रोक भी लेता है तो निकलने के लिए कोड वर्ड काफी होता है। लेकिन जिनकी एंट्री नहीं होती और उनके पास कोड नहीं होता, उन्हें ओवरलोडिंग के जुर्म में जुर्माना भरना होता है। अंश मात्र कार्रवाई से ही जमुई में राजस्व वसूली का ग्राफ भी बंपर हो जाता है। लिहाजा ऊपर के अधिकारी भी गदगद और नीचे वाले की भी।
चेक पोस्ट पर पूरी होती है औपचारिकता
जिले में ओवरलोडिंग रोकने के लिए फिलहाल दो चेक पोस्ट मंझवे और कटौना में बनाए गए हैं लेकिन जानकार बताते हैं कि वहां सिर्फ औपचारिकता पूरी होती है। भाकपा नेता गिरीश ङ्क्षसह कहते हैं कि उन चेक पोस्टों पर जिन वाहन मालिकों की सांठगांठ नहीं होती है उनकी ही गाडिय़ां पकड़ी जाती है।
ओवरलोडिंग रोकने के लिए कटौना और मंझवे में चेक पोस्ट बनाए गए हैं। इसके अलावा लक्ष्मीपुर के लिए भी प्रस्ताव अग्रसारित किया गया है। ओवरलोडिंग के खिलाफ शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा। - कुमार अनुज, जिला परिवहन पदाधिकारी, जमुई।