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पूर्णिया में आइसीडीएस के डीपीओ पर कार्रवाई, कार्य में लापरवाही के आरोप में वेतनवृद्धि पर लगाई गई रोक

कार्य मे लापरवाही के आरोप में पूर्णिया के आइसीडीएस के डीपीओ पर कार्रवाई की गई है। सरकार के संयुक्त सचिव के आदेश से निर्गत पत्र में निंदन के साथ उनके एक वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई है। मधेपुरा में उनपर यह आरोप लगा था।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 01:26 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 01:26 PM (IST)
पूर्णिया में आइसीडीएस के डीपीओ पर कार्रवाई, कार्य में लापरवाही के आरोप में वेतनवृद्धि पर लगाई गई रोक
कार्य मे लापरवाही के आरोप में पूर्णिया के आइसीडीएस के डीपीओ पर कार्रवाई की गई है।

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। आइसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के पूर्व पदस्थापन जिला मधेपुरा में कार्य में लापरवाही के खिलाफ सामान्य प्रशासन विभाग ने कार्रवाई की है। सरकार के संयुक्त सचिव के आदेश से निर्गत पत्र में ङ्क्षनदन के साथ उनके एक वेतन वृद्धि पर रोक लगाई गई है। वित्तीय वर्ष 2015-17 के दौरान डीपीओ राखी कुमारी जब मधेपुरा में पदस्थापित थीं, उस दौरान समाज कल्याण विभाग द्वारा सरकार को आरोप पत्र भेजा गया था।

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उसमें कहा गया है कि अपने कार्यकाल 15-17 के दौरान 98 न्यायालय वादों में मात्र 45 में उन्होंने आदेश पारित किया। वहीं जन शिकायत के 210 आवेदनों में 186 का ही निष्पादन किया। सेविकाओं के रिक्त 59 पदों के विरूद्ध सिर्फ 42 की ही नियुक्ति की गई। इसके अलावा महालेखाकार के अंकेक्षण दल द्वारा भी आपत्ति दर्ज की गई थी। विभाग के आरोप पत्र के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा डीपीओ राखी कुमारी से स्पष्टीकरण की मांग की गई। जिसका जवाब उन्होंने दो माह बाद दिया। उनके द्वारा दिए गए जवाब की समीक्षा अनुशासनिक स्तर से की गई।

समीक्षोपरंत डीपीओ की कर्तव्यगत शिथलता पाई गई। इसके अलावा महालेखाकार के अंकेक्षण दल द्वारा भी आपत्तियां दर्ज की गई थी। 17 हजार असमायोजित अभिश्रवों को पूर्व काल का बताते हुए उस पर कार्रवाई नहीं करना भी इनकी लापरवाही मानी गई। वहीं पीपीई किट की खरीद उनके द्वारा नहीं किया गया। किट के लिए हुए टेंडर को यह कहकर स्थगित कर दिया कि यह शर्तों को पूरा नहीं करता है जो सही नहीं था। इसके बाद उन्होंने पुन: निविदा भी नहीं निकाली। पोशाक मद की राशि का भी उपयोगिता प्रमाण पत्र उन्होंने समय पर नहीं जमा कराया।

आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण में भी बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों से स्थल प्रतिवेदन अप्राप्त रहा। भवन का निर्माण शीघ्रता से पूरा नहीं किया गया। इन वजहों से उनका अधीनस्थ पदाधिकारियों पर नियंत्रण का अभाव पाया गया। उक्त लापरवाहीं के आरोप मेें अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा उनके खिलाफ ङ्क्षनदन और असंचयात्मक प्रभाव से एक वेतनवृद्धि अवरूद्ध करने का निर्णय लिया गया है।


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