रेलवे ने बढ़ाई ट्रेनें, चार राज्यों से पहुंचे चार हजार प्रवासी
दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों के आने की रफ्तार तेज हो गई है। जानिए क्या बीता उनके साथ..
भागलपुर। दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों के आने की रफ्तार तेज हो गई है। अब रेलवे की ओर से हर दिन तीन से चार ट्रेनें भागलपुर के लिए चलाई जा रही हैं। मंगलवार को आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भागलपुर पहुंचीं। इन सभी ट्रेनों में करीब चार हजार प्रवासी सवार थे। भागलपुर के अलावा, पूर्णिया, समस्तीपुर, खगड़िया, कटिहार, बांका और पूर्णिया जिले के प्रवासी थे। सभी को जांच और सैनिटाइज कराने के बाद बसों से संबंधित जिलों में भेजा गया। डीआरएम रात तक ट्रेन के मूवमेंट से रूबरू होते रहे। जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने प्रवासियों का हौसला बढ़ाया।
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भोजन के लिए गृहस्थी का सामान भी बेचा
भागलपुर। बेंगलुरु के कुमकुम में पिछले चार साल से पति के साथ रह रहीं समस्तीपुर की जूही की दास्तां औरों से अलग है। लॉकडाउन के बाद पति रौशन कुमार का काम छूट गया। बचे पैसे भी समाप्त हो गए। इन्हें न सिर्फ खाने की दिक्कत हुई, बल्कि वर्षो से बना आशियाना भी उजड़ गया। रोजगार समाप्त होने के बाद पैसों के लाले पड़ गए थे। ऐसे में गृहस्थी के लिए जुटाए सामान पलंग, अलमारी और गैस चूल्हा तक बेचना पड़ गया। जूही ने कहा कि कुमकुम में ही बेटे का सुख मिला, लेकिन लॉकडाउन ने सब बर्बाद कर दिया। अब बिहार में ही पति रोजगार की तलाश करेंगे।
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घर पर बुटिक खोलकर बनेंगे आत्मनिर्भर
भागलपुर। सपना देवी भी लॉकडाउन की मारी है। पति और एक साल की बेटी के साथ बंगलुरु के कुमकुम में गृहस्थी की गाड़ी ठीक से चल रही थी। पति रमण कुमार फैक्ट्री में काम करते थे तो सपना घर पर सिलाई करती थीं। महीने में आमदनी भी ठीकठाक हो जाती थी। रमण हर माह घर पैसे भी भेजते थे। लॉकडाउन के बाद पति का काम छूट गया और सिलाई भी बंद हो गई। घर वापसी पर दंपती खुश थे। सपना ने कहा कि वह अब घर पर ही बुटिक खोलेगी और परिवार को गुजारा करेगी। पति भी अब राज्य से बाहर नहीं जाएंगे।
---------------------- घर पर रहकर कम मजदूरी में कर लेंगे गुजारा
भागलपुर। बेंगलुरु से पहुंचे अररिया निवासी दिव्यांग मु. इरशाद पांच सालों से वहां सिलाई का काम करते थे। रहने और खाने के साथ ही बचत भी हो जाती थी। दिव्यांग होने के कारण दूसरा काम इरशाद नहीं कर सकते थे। इस कारण सिलाई का काम मजे में चल रहा था। पत्नी और बच्चे अररिया में ही रहते हैं। सात साल के बेटे उस्मान की पढ़ाई भी ठीक से चल रही थी। लॉकडाउन ने पूरे सपने पर पानी फेर दिया। काम बंद हो गया और इरशाद को घर लौटना पड़ा। इरशाद ने कहा कि कम मजदूरी में गुजारा कर लेंगे, लेकिन वापस नहीं जाएंगे।