मुर्गे की बांग से पहले दौड़ उठता है फौजियों की बस्ती
कटिहार के एक गांव में सेवानिवृत्त फौजी युवाओं को टिप्स भी देते हैं। युवाओं को देशभक्ति के लिए प्रेरित करते हैं। इस कारण सैन्य सेवा का क्रेज बढ़ता जा रहा है।
कटिहार [प्रीतम ओझा]। गंगा की कोख में बसे मनिहारी प्रखंड का बघार गांव मुर्गे की बांग से पहले दौड़ पड़ता है। इस गांव की पहचान फौजियों की बस्ती के रूप में है। युवाओं में यहां सैन्य सेवा का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। लगभग तीन हजार परिवारों वाले इस गांव में 300 से अधिक लोग अब फौज में सेवा दे रहे हैं।
हर साल गांव से तीन-चार लड़कों का चयन सेना के लिए यहां से हो रहा है। पूरे साल चार दर्जन से अधिक युवा पौ फटने से पहले दौड़ और कसरत में जुट जाते हैं। यूं कह सकते हैं कि इन युवाओं के पदचापों से ही गांव की सुबह होती है। कई घर ऐसे हैं जिसके तीन से चार सदस्य फौज में सेवा दे रहे हैं। चंदरमन यादव के चार में से तीन पुत्र फौज में हैं। शिवजी यादव व उनका इकलौता पुत्र दोनों फौज में है। विधिचंद्र यादव के चार में से दो पुत्र फौज में हैं। ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। युवा बताते हैं कि गांव के सेवानिवृत्त फौजियों से उन्हें देशसेवा की प्रेरणा मिलती है। सेवानिवृत्त फौजी जयमंगल यादव अक्सर युवाओं को इसके लिए टिप्स भी देते हैं। सेना में सेवा देते गांव के नारद प्रसाद यादव, बीएसएफ के शंभू कुमार यादव तथा बाजू में बसे कांटाकोश के नित्यानंद पांडेय वीरगति को भी प्राप्त हुए हैं। इसे लेकर पूर्व विधायक विश्वनाथ सिंह द्वारा बघार जाने वाले मुख्य मार्ग बलडिय़ाबाड़ी के समीप शहीद द्वार का निर्माण भी कराया गया था। गांव के तीन सैनिकों के शहीद होने के बाद इस गांव में सैन्य सेवा के प्रति युवाओं का क्रेज और बढ़ गया है। नीलेश दास, रामचंद्र परिहार, राजेश शर्मा, सोनू यादव, विक्रम, विकास शर्मा, धर्मवीर परिहार, मनोज, संतोष, अमित, सत्यपाल व ङ्क्षप्रस आदि का मानना है कि कॅरियर के साथ देशसेवा का मौका मिल रहा हो, तो इससे बेहतर बात दूसरी नहीं हो सकती।