घिस गई चप्पलें, नहीं हटे तीन ताड़ के पेड़, जानिए भागलपुर के इस वृक्ष कहानी
भागलपुर में यास तूफान में महिला की झोपड़ी पर गिरा था पेड़ अब तक नहीं हटाया गया। वन विभाग और नगर निगम के बीच झूल रहा मामला। जिलाधिकारी से लेकर नगर आयुक्त तक से गुहार लगाने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। भागलपुर के सुरखीकल मोहल्ले में लगे तीन ताड़ के पेड़ को हटाने के लिए इलाके के लोग करीब तीन साल से अधिकारियों की ड्योढ़ी नाप रहे हैं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। हैरत की बात तो यह है, इसी मोहल्ले में यास तूफान के दौरान एक महादलित की झोपड़ी पर गिरे ताड़ के पेड़ को भी आज तक काट कर नहीं हटाया जा सका।
दरअसल, नगर निगम के वार्ड 26 के सुरखीकल (भट्ठा) मोहल्ले के महादलित बस्ती के निकट तीन ताड़ के पेड़ को हटाने के लिए मोहल्ले के लोग वर्ष 2019 से संघर्ष कर रहे हैैं। शुरुआत में मोहल्ले के लोगों ने वन विभाग को पेड़ काटने के लिए पत्र दिया। उसके बाद वन विभाग ने हवाला दिया कि पेड़ निगम के क्षेत्र में है, उसमें हमारे हस्तक्षेप की जरूरत नहीं। इसके बाद मोहल्ले के लोगों ने हस्ताक्षर करके सामूहिक रूप से नगर आयुक्त को आवेदन दिया।
निगम ने तर्क दिया कि पेड़ को काटने के लिए वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होगा। मामला फिर लटक गया। उसके बाद वार्ड पार्षद प्रीति देवी ने तत्कालीन नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा से पेड़ काटने के लिए आग्रह किया। मीणा ने पहल की। मजदूर पेड़ काटने के लिए पहुंचे लेकिन हवा अधिक होने के कारण पेड़ नहीं कट सका। मजदूर के लौटने के बाद दोबारा वहां कोई नहीं गया। जब नगर निगम और वन विभाग में पत्राचार करके मोहल्ले के लोग थक गए। तब उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र देना शुरू किया। लेकिन उनके स्तर से भी कोई पहल नहीं हुई।
सीआरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर जितेंद्र शेखर दत्ता ने बताया कि जहां ताड़ के पेड़ हैैं, वह मेडिकल कालेज की जमीन है। पेड़ सूखने के कारण उनकी टहनियां गिरती रहती हैं। इसकी चपेट में आकर करीब एक दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हो चुके हैैं। उन्होंने ने भी निजी तौर पर जिलाधिकारी को पत्र भेजा, लेकिन संज्ञान नहीं लिया गया।
वार्ड पार्षद प्रीति देवी के प्रतिनिधि ने बताया कि यास तूफान के दौरान महादलित बस्ती में ताड़ का एक पेड़ गिर गया। जिसकी चपेट में आने से दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। उन्हें स्थानीय लोगों ने मेडिकल कालेज में भर्ती कराया था। पड़े उन लोगों की झोपड़ी पर गिरा था। पेड़ काट कर हटाने के लिए सदर एसडीओ और नगर निगम को पत्र लिखा गया। लेकिन किसी ने कोई पहल नहीं की। नतीजा, आज भी झोपड़ी पर पेड़ पड़ा हुआ है। चप्पलें घिस गई आवेदन देते-देते लेकिन कहीं ने संज्ञान नहीं लिया।