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ऐतिहासिक होगी 40 फीट की भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा

By Edited By: Published: Sat, 28 Jul 2012 09:38 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2012 09:38 PM (IST)
ऐतिहासिक होगी 40 फीट की भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा

भागलपुर, संवाददाता : नाथनगर स्थित सिद्धक्षेत्र मंदिर में जैन धर्म के 12वें तीर्थाकर भगवान वासुपूज्य की विशालकाय व आकर्षक प्रतिमा का निर्माण किया जाएगा। बेंगलुर के देवनल्ली स्थित कोरागांव के खान से ग्रेनाइड पत्थर मंगाए गए हैं। शिल्पकार सुरेंद्र कुमार व मीठालाल के नेतृत्व में 20 कलाकार भगवान की प्रतिमा का निर्माण करेंगे।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसे जैन सर्किट से जोड़ने की बात कही है। जैन सर्किट से जोड़ने के बाद देश-विदेश के पर्यटक को भ्रमण के लिए नया क्षेत्र मिल जाएगा। क्योंकि कर्नाटक के श्रवण बेलगोला में भगवान बाहुबली की 57 फीट ऊंची विशालकाय प्रतिमा के बाद नाथनगर के सिद्धक्षेत्र मंदिर की 40 फीट ऊंची प्रतिमा पूर्वी भारत में दूसरी बड़ी प्रतिमा भगवान वासुपूज्य की होगी। इसमें पांच फुट का चबुतरा, तीन फीट का कमल फूल व करीब 31 फीट की प्रतिमा होगी। सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने बताया कि क्षेत्र में सुख, समृद्धि व शांति के लक्ष्य के लिए प्रतिमा को स्थापित की जा रही है। इससे सिद्धक्षेत्र में श्रद्धालुओं और पर्यटक की संख्या में इजाफा होगा। उन्होंने पत्थर को सुलभ तरीके से पहुंचाने में सभी समुदाय के प्रति आभार व्यक्त किया है।

आकर्षक केंद्र बनेगा प्रतिमा :

- बेंगलूर के देवनल्ली स्थित कोरागांव के खान से ग्रेनाइड पत्थर लाया गया। -ग्रेनाइड पत्थर में करीब 30 प्रतिशत आयरन है।

-- सूबे के आकर्षण का केंद्र होगा निर्मित प्रतिमा

- पर्यटन के क्षेत्र में जुटेगा नया आयाम

- देश-विदेश के पर्यटक व जैन समुदाय के लिए बनेगा अजूबी होगी यह प्रतिमा

- राजस्थान के शिल्पकार छह माह में तैयार करेगें भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा

- मंदिर के पश्चिमी क्षेत्र के उद्यान में स्थापित की जाएगी प्रतिमा

- नागालैंड के विनोद जैन सेठी के दान से निर्मित होगी प्रतिमा

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प्रतिमा के पत्थर भव्य हुआ स्वागत :

भागलपुर : सिद्धक्षेत्र मंदिर परिसर में शनिवार को प्रतिमा के लिए ग्रेनाइड पत्थर पहुंचने पर 11 जैन समुदाय की महिलाओं ने उपवास रखकर पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने प्रतिमा के पत्थर का आरती उतार कर स्वागत किया। इसके पूर्व 25 जून को बेंगलुर से रवाना होने के बाद आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा व झारखंड राज्य में जैन श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत कर पूजा-अर्चना की। इसके साथ जगह-जगह श्रद्धालुओं ने अपने सीमा क्षेत्र रवाना किया।

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