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'52 कोठरी 53 द्वार' का होगा कायाकल्प, पर्यटन के मानचित्र पर दिखेगा खगडिय़ा का एतिहासिक स्थल, जानिए क्यूं है खास?

खगडि़या के एतिहासिक स्‍थलों में एक 52 कोठरी 53 द्वार का जल्‍द कायाकल्‍प होगा। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। यह बिहार के पर्यटन मानचित्र पर भी दिखेगा। पर्यटन विभाग की ओर से भी इसके लिए पहल शुरू कर दी...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 04:15 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 04:15 PM (IST)
'52 कोठरी 53 द्वार' का होगा कायाकल्प, पर्यटन के मानचित्र पर दिखेगा खगडिय़ा का एतिहासिक स्थल, जानिए क्यूं है खास?
खगडि़या के एतिहासिक स्‍थलों में एक '52 कोठरी 53 द्वार' का जल्‍द कायाकल्‍प होगा।

जागरण संवाददाता, खगडिय़ा। गंगा किनारे स्थित मुगलकालीन भरतखंड का '52 कोठरी 53 द्वार' के नाम से प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल के दिन बहुरने वाले हैं। यह महल 52 प्रकार की ईंटों के प्रयोग, मुगलकालीन नक्काशी व चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। आज भी उसे देखने दूर-दूर से पर्यटक, इतिहासकार व शोधार्थी आते हैं। लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण धीरे-धीरे यह अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। दुर्गा पूजा के अवसर पर खगडिय़ा डीएम डा.आलोक रंजन घोष ने इसका जायजा लिया और महल की हर बारिकी से अवगत हुए।

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राजा बाबू बैरम ङ्क्षसह द्वारा निर्मित इस महल के संरक्षण-संवर्धन को लेकर उन्होंने कारगर प्रयास की बात कही है। इस संबंध में उन्होंने बताया कि इसके संरक्षण-संवर्धन को लेकर जल्द ही पर्यटन विभाग, पुरातत्व विभाग को लिखा जाएगा। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। इससे लोगों में इस ऐतिहासिक स्थल के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। इस जिले के भरतखंड का यह ऐतिहासिक महल पर्यटन के नक्शे पर आएगा।

मालूम हो कि यह ऐतिहासिक इमारत खगडिय़ा-भागलपुर की सीमावर्ती क्षेत्र में है। गंगा तट पर है। जिससे इसका सौंदर्य और निखर उठता है। बीते दिनों परबत्ता विधायक डा. संजीव कुमार ने भी इसके संरक्षण-संवर्धन को लेकर प्रयास आरंभ किया है। उन्होंने विभागीय मंत्री से मिलकर ध्यान भी आकृष्ट कराया था। अब डीएम के जायजा लेने बाद इसके संरक्षण-संवर्धन की उम्मीद और बढ़ी है।

भरतखंड के ऐतिहासिक इमारत का जायजा लिया हूं। इसके संरक्षण-संवर्धन को लेकर हर संभव प्रयास किया जाएगा। पर्यटन और पुरातात्विक दोनों विभागों को लिखा जा रहा है। -डा. आलोक रंजन घोष, डीएम, खगडिय़ा।

पुरातात्विक ²ष्टि से अगर वह इमारत महत्वपूर्ण है, तो आवेदन मिलने पर सर्वे को लेकर टीम भेजी जाएगी। फिर संरक्षण-संवर्धन को लेकर हर संभव प्रयास किया जाएगा। -आलोक रंजन, मंत्री, कला संस्कृति व युवा विभाग, बिहार सरकार।

यह इमारत अंग क्षेत्र का गौरव है। इसको लेकर पर्यटन मंत्री से मुलाकात कर ध्यान आकृष्ट कराया हूं। इसे पर्यटन के नक्शे पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। - डा. संजीव कुमार, विधायक, परबत्ता विधान सभा।

विशेषताओं से भरपूर है महल

भरतखंड की ऐतिहासिक इमारत विशेषताओं से भरपूर है। महल में कई विशेषताओं का संयोजन है। पांच बीघा, पांच कट्ठा, पांच धूर, पांच धुरकी में यह इमारत अवस्थित है। महल में 52 कमरा व 53 दरवाजा है, जिसके कारण यह '52 कोठरी, 53 द्वार' के नाम से मशहूर है। यह 'भरतखंड का पक्का' के नाम से भी जाना जाता है। महल में माचिस आकार से लेकर एक और दो फीट तक के ईंटों का प्रयोग किया गया है। यहां के मंडप पर उकेरी गई नक्काशी अदभूत है। महल सूर्खी-चूना से बनाया गया। महल के अंदर सुरंग भी था। जो महल से निकलकर पास के शिव मंदिर और तालाब तक जाता था। अब यह इतिहास है। महल का निर्माण मशहूर शिल्पकार बकराती मियां ने किया था। जिनके बारे में कई किस्से प्रसिद्ध हैं।


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