मुंगेर में नजरों के सामने से चले गए 45 लाख, भर रही दूसरे जिलों की झोलियां, कब सही होगी नक्शे की मशीन?
मुंगेर में आंखों के सामने से जिले का राजस्व अन्य जिलों में जा रहा है और जिम्मेदार सिर्फ तमाशा देख रहे हैं। जी हां ये बात सौ टका सत्य है। 11 माह से खराब पडी नक्शे की मशीन से अब तक तकरीबन 45 लाख का नुकसान जिले के खजाने...
संवाद सूत्र, मुंगेर : नजर के सामने से राजस्व जाता देख भी संबंधित पदाधिकारी मौन हैं। खेत और रैयती जमीन का नक्शा पहले पटना में बनता था। नक्शा बनाने के लिए लोग पटना जाते थे। सरकार ने लोगों की परेशानी को देखते हुए हर जिले के मुख्यालय प्रखंड में नक्शा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। मई 2017 में सदर प्रखंड में अलग से नक्शा निकालने के लिए मशीन उपलब्ध कराई गई। जिले का नक्शा जिले में ही मिलने से लोगों को काफी सहूलियत हो रही थी, पर 11 माह से नक्शा मशीन खराब पड़ी हुई है। ऐसे में यहां के लोगों को खेत और रैयती जमीन का नक्शा निकालने के लिए दूसरे जिला जाना पड़ रहा है।
मुंगेर जिले का राजस्व लखीसराय, भागलपुर, जमुई, कटिहार, खगडिय़ा, बेगूसराय सहित कई जिलों में जा रहा है। एक नक्शा निकालने पर 200 से 250 रुपये खर्च आता है। हर दिन 60 से 70 लोग नक्शा निकालने के लिए पहुंचते थे। एक वर्ष में नक्शा के एवज में जिले को आने वाला राजस्व लगभग 45 लाख रुपये दूसरे जिले को चला गया। सीओ ने बताया कि मशीन खराब होने की सूचना विभाग को दी गई है। अभी तक मशीन को दुरुस्त नहीं किया गया है। जिले के एकमात्र सदर अंचल कार्यालय स्थित आरटीपीएस काउंटर पर रहा प्लाटर मशीन 11 माह से खराब है। इससे आम लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।
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आधुनिक मशीन के जरिए आवेदकों को मिनटों में बड़ा सा पेपर पर जमीन का प्रिंटेड नक्शा मिलता था। मशीन के खराब रहने से हर दिन पांच से 10 लोग इस काउंटर पर आकर निराश हो लौटने को मजबूर है। विभाग को रेवेन्यू का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मशीन खराब होने से पहले तक इस मशीन से राजस्व विभाग को तीन लाख से ज्यादा आमदनी मिली है। मशीन ठीक कराने में अधिकारियों की दिलचस्पी नहीं दिख रही है।