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13 साल पहले आज के दिन ही जली थीं 24 चिताएं एक साथ, वीभत्स हादसे का गवाह है दुधैला गंगा घाट

13 वर्षों बाद भी मन-मस्तिष्क पर अंकित है दुधैला नाव दुर्घटना। 13 वर्ष पूर्व दुधैला गंगा घाट पर एक साथ हुआ था 24 शवों का पोस्टमार्टम। मृतकों के स्वजनों को आज तक नहीं मिला आवास योजना का लाभ।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 04:25 PM (IST)
13 साल पहले आज के दिन ही जली थीं 24 चिताएं एक साथ, वीभत्स हादसे का गवाह है दुधैला गंगा घाट
दुधैला गंगा घाट में हुए था बड़ा हादसा...

संवाद सूत्र, परबत्ता (खगड़िया)। 22 अक्टूबर की तिथि दुधैला के लोग कभी भूल नहीं पाएंगे। यह तिथि उनके मन मस्तिष्क में अंकित है। 22 अक्टूबर 2008 को दुधैला गंगा घाट पर हुई नाव दुर्घटना में 24 लोगों की जानें गईं थी। घाट पर ही 24 शवों का पोस्टमार्टम हुआ था। कई चिता एक साथ जली थी। आज भी यहां के लोग इस हादसे को याद कर सहम जाते हैं। 22 अक्टूबर का दिन यहां के लोगों के लिए मातम का दिन है। 22 अक्टूबर 2021 को भी दुधैला के कई घरों में चूल्हे नहीं जले। उदासी पसरी रही। झोपड़ियों से सिसकने की आवाजें आती रहीं।

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इस दुर्घघटना के बाद तत्कालीन डीएम उदय नारायण ठाकुर और एसपी डा. कमल किशोर सिंह ने मृतकों के स्वजनों को दो लाख रुपये तथा इंदिरा आवास देने का आश्वासन दिया था। मगर आज भी मृतकों के स्वजनों को समुचित मुआवजा नहीं मिला है। घटना को बीते 13 वर्ष हो चुके हैं। फिर भी मृतकों के स्वजनों को दिए गए आश्वासन पूरे नहीं हुए हैं। पीड़ित स्वजनों की माने तो एक लाख रुपये ही मिले। आवास योजना का लाभ नहीं मिला। मृतकों में अधिकांश गरीब परिवार से आते थे।

आज तक झोपड़ी व खपरैल के मकान में रह रहे हैं। मालूम हो कि 24 मृतकों में 19 दुधैला के और तीन बुद्धनगर के तथा दो नवगछिया- मकनपुर के थे। मृतकों के स्वजनों में लक्ष्मण रजक, राजेंद्र शर्मा, शिव मंडल, सुबोध मंडल, दशरथ मंडल और प्रकाश पंडित ने बताया कि जब-जब 22 अक्टूबर आता है, तो दिल दहल उठता है। न जाने कौन ऐसी गलती की थी, कि, गंगा मैय्या ने हमलोगों को ऐसी सजा दी। संफल मंडल ने बताया कि आवास योजना के लाभ को लेकर प्रखंड से जिला कार्यालय तक का चक्कर लगाया, परंतु परिणाम शून्य रहा।

'मामला 13 साल पुराना है। फाइल का अवलोकन करेंगे। अगर आवास योजना का लाभ नहीं मिला है, तो इस दिशा में समुचित कार्यवाही करेंगे।'- अंशु प्रसून, सीओ, परबत्ता।


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