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JLNMCH की इमरजेंसी में 11 आक्सीजन प्वाइंट एकमुश्त मिले खराब, थमती सांस को कैसे मिलेगी राहत

भागलपुर स्‍वास्‍थ्‍य व‍िभाग लगातार लापरवाह बना हुआ है। मरीज वर्षा को लगाया गया जब आक्सीजन प्वाइंट लीक हुआ तो अस्पताल प्रशासन सचेत हुआ। आक्सीजन का फ्लो पहले भी धीमा होता रहा है। कोरोनाकाल में भी अस्पताल के विभागों में यही स्थिति बनी रही थी। मरीज परेशान हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 11:49 AM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 11:49 AM (IST)
JLNMCH की इमरजेंसी में 11 आक्सीजन प्वाइंट एकमुश्त मिले खराब, थमती सांस को कैसे मिलेगी राहत
भागलपुर में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग लगातार लारवाही कर रहा है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) की इमरजेंसी में उन मरीजों की जान भगवान भरोसे ही बचती रही, जिनकी थमती सांस को सामान्य करने के लिए आक्सीजन पर रखा गया था। यह मामला तब उजागर हुआ जब इमरजेंसी के शिशु विभाग में भर्ती वर्षा कुमार को लगाया गया आक्सीजन प्वाइंट खराब हुआ। उसकी जान दूसरे बेड पर रखकर बचाई गई। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन को भी सकते में डाल दिया। सोमवार को जब इमरजेंसी के बेडों पर लगे आक्सीजन प्वाइंट को चेक किया गया तो 11 खराब मिले। वैसे भी कोरोनाकाल के समय विभागों में भर्ती कई मरीजों की मौत आक्सीजन के अभाव में हुई थी। यह आरोप स्वजन लगा चुके हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन आरोप को बेबुनियाद बताता रहा है।

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पहले चेक नहीं किया गया था आक्सीजन प्वाइंट

खराब मिले 11 आक्सीजन प्वाइंट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह उठाया जा रहा है कि आक्सीजन प्वाइंट एक या दो दिन में तो खराब नहीं हुए होंगे, पहले से खराब होंगे। जिसे कभी भी अस्पताल प्रशासन ने चेक करवाने की जरुरत नहीं समझी। जब वर्षा कुमारी के साथ घटना हुई तब चेक करवाना पड़ा। ताज्जुब तो यह भी है कि वर्षा को आक्सीजन पर रखा गया था। रविवार को करीब साढ़े 12 बजे जब आक्सीजन प्वाइंट लिक होने लगा तो आनन-फानन में वर्षा को दूसरे बेड पर रखा गया। लेकिन जब टेक्नीशियन को इसकी सूचना दी गई तो वह करीब एक घंटे के बाद आया। इससे यह पता चलता है कि मरीजों के प्रति कर्मचारी कितने संजिदा हैं।

एजेंसी करती है आक्सीजन प्लांट का संचालन 

अस्पताल में आक्सीजन प्लांट निजी एजेंसी के जिम्मे है। जिन विभागों में आक्सीजन प्वाइंट खराब है अथवा फ्लो कम हो रहा है इसे एजेंसी के टेक्नीशियन ही सुधारते हैं। इसके लिए 19 कर्मचारी कार्यरत हैं।

आक्सीजन जार बदले गए

इमरजेंसी के बेडों पर लगे 11 आक्सीजन जार बदले गए। सोमवार को एजेंसी के दो कर्मचारियों ने चेक किया तो आक्सीजन प्वाइंट के पास आक्सीजन जार खराब मिले। जिसे बदला गया।

कोरोनाकाल में भी आक्सीजन का फ्लो कम रहने की होती रही शिकायत : कोरोनाकाल में भी सैकड़ों मरीजों को आक्सीजन पर रखा गया था। कई स्वजनों ने कहा कि आक्सीजन का फ्लो कम है। इसे ठीक करने के लिए अस्पताल प्रशासन भी काफी सक्रिय रहा। स्थिति यह थी कि आक्सीजन की कमी की वजह से कई स्वजन कालाबाजारी में आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रहे थे।

इमरजेंसी के सीओटी में आपरेशन के दौरान आक्सीजन का फ्लो ज्यादा होने से विभाग के आक्सीजन प्वाइंट में भी ज्यादा फ्लो होने लगा था। खराबी दूर कर ली गई है। खराब जार भी बदले गए हैं। - डा. असीम कुमार दास, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच


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