युवाओं की टीम वंचितों को दे रही नि:शुल्क शिक्षा, कर रहे स्किल डेवलपमेंट
देश को दुनिया के नक्शे पर चमकाना है तो समाज के हर बचे को शिक्षित बनाना जरूरी है। इसे चरितार्थ कर रहा है मंझौल के गारा पोखर स्थित बचपन पाठशाला। हौसले की नींव पर खड़ी बचपन पाठशाला आज दर्जनों नौनिहालों को सुशिक्षित समाज की मुख्यधारा में लाने को प्रयासरत है। युवाओं की टीम अपनी अनोखी पहल से विगत दो साल से शिक्षा से वंचित बचे बिचयों को निशुल्क शिक्षा देने के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट भी कर रही है।
घनश्याम देव, मंझौल (बेगूसराय) : देश को दुनिया के नक्शे पर चमकाना है तो समाज के हर बच्चे को शिक्षित बनाना जरूरी है। इसे चरितार्थ कर रहा है मंझौल के गारा पोखर स्थित बचपन पाठशाला। हौसले की नींव पर खड़ी बचपन पाठशाला आज दर्जनों नौनिहालों को सुशिक्षित समाज की मुख्यधारा में लाने को प्रयासरत है। युवाओं की टीम अपनी अनोखी पहल से विगत दो साल से शिक्षा से वंचित बच्चे बच्चियों को नि:शुल्क शिक्षा देने के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट भी कर रही है। बच्चे होने लगे थे स्कूल से दूर :
कुछ साल पहले मंझौल पंचायत- दो स्थित गारा पोखर टोला में सरकार के द्वारा स्थापित प्राथमिक विद्यालय जमीन एवं भवन के अभाव में परिषद मध्य विद्यालय, मंझौल में चलने लगा तो यहां के काफी संख्या में बच्चे स्कूल से दूर होते चले गए। कुछ गिने चुने बच्चे परिषद मध्य विद्यालय में पढ़ते थे। जो छोटे बच्चे थे वे स्कूल काफी दूर होने के कारण नहीं जा पाते थे। कई बच्चे ऐसे थे जो अपने माता-पिता के साथ काम करने खेतों में जाने लगे। पाठशाला में प्री नर्सरी से दसवीं तक के बच्चों की हो रही नि:शुल्क पढ़ाई :
बचपन पाठशाला के संयोजक अभिषेक कुमार ने बताया कि यहां की बड़ी संख्या में बच्चे आजीवन अशिक्षित रहने की ओर बढ़ने लगे। मेरे मन में यह ख्याल आया कि क्यों नहीं मित्रमंडली के साथ यहां पर बच्चों को रोज शाम पढ़ाया जाए। फलस्वरूप विगत वर्ष 28 फरवरी को विधिवत इसकी नींव रखी। इसमें अपनी टीम के मित्रों के साथ जयमंगला कावर फाउंडेशन के सचिव राजेश राज का योगदान अहम रहा, हालांकि बच्चों की पढ़ाई करीब दो साल से चल रही है। पढ़ाई के साथ-साथ अन्य विधाओं की देती है शिक्षा :
स्थानीय स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षक भी अपने समयानुसार यहां आकर बच्चों को पढ़ाते हैं। बच्चों को रुचि के अनुसार संगीत, नृत्य, खेल-कूद, जूडो आदि का अभ्यास कराया जाता है। पाठशाला की शुरुआत में तो बच्चे कम आते थे, मगर कुछ ही दिन बाद बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। अभी पाठशाला में लगभग 182 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। कुछ शिक्षक प्रतिदिन तो कुछ सप्ताह में समय देते हैं। नि:शुल्क शिक्षण सामग्री जैसे कापी, कलम, स्लेट, पेंसिल, किताब भी बच्चों को दिया जाता है।