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कचरा प्रबंधन से होगा स्वच्छ शहर का सपना साकार

बेगूसराय। एक तरफ नगर निगम इंदौर की तरह ही शहर को कचरा प्रबंधन व साफ-सफाई में आदर्श बनाने के लिए दिनरात नई योजनाओं व उनके क्रियान्वयन में जुटा है वहीं नगर निगम पर्याप्त संसाधनों के बलबूते शहर के पूरे कचरे को ट्रेचिग ग्राउंड तक भी नहीं पहुंचा पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 11:43 PM (IST)
कचरा प्रबंधन से होगा स्वच्छ शहर का सपना साकार
कचरा प्रबंधन से होगा स्वच्छ शहर का सपना साकार

बेगूसराय। एक तरफ नगर निगम इंदौर की तरह ही शहर को कचरा प्रबंधन व साफ-सफाई में आदर्श बनाने के लिए दिनरात नई योजनाओं व उनके क्रियान्वयन में जुटा है, वहीं नगर निगम पर्याप्त संसाधनों के बलबूते शहर के पूरे कचरे को ट्रेचिग ग्राउंड तक भी नहीं पहुंचा पा रहा है। नतीजा यह है कि शहर का आधा से अधिक कचरा सड़क किनारे गड्ढे में फेंका जाता है जहां वह विभिन्न तरह के प्रदूषण का कारण बनकर लोगों व भूमि की उर्वरा शक्ति पर विपरीत असर डाल रहा है। रतनपुर व बाघी में बन रही जैविक खाद :

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वर्तमान समय में बीते तीन माह से डोर टू डोर कचरा संग्रह योजना के तहत 13 वाहन लगे हैं। शहर के आधा दर्जन से अधिक होटलों समेत करीब 20-22 वार्ड के घरेलू कचरे को जमा किया जा रहा है। ट्रेचिग ग्राउंड में काम कर रहे खाद पीठ प्रभारी मो. मोजाहिद बताते हैं कि प्रति सेंटर तीन टन कचरा का रोज उठाव हो रहा है। यहां सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग छांट कर जैविक खाद तैयार करने के लिए 40 पीठ में डाला जाता है। 60 से 90 दिन में जैविक खाद बनकर बिक्री के लिए तैयार होती है। जैविक खाद की मार्केटिग कर संसाधन बढ़ाने की जरूरत:

जैविक खाद के अनवरत निर्माण व बिक्री के लिए जहां मार्केटिग की जरूरत है वहीं कचरा उठाव के लिए संसाधन बढ़ाने की आवश्यकता है। फलमंडी समेत अन्य जगहों से कचरा उठाव में शिथिलता के कारण वर्तमान समय में फलों का कचरा एनएच-31 किनारे फेंक दिया जा रहा है। फलमंडी से निकलने वाले फलों के अवशेष जैविक खाद के लिए बेहतर कच्चा माल साबित होते हैं। वहीं नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डो में भी घरेलू कचरा भी सड़कों पर फेंका जा रहा है जिसपर सख्ती की जरूरत है। कहते हैं नगर आयुक्त :

नगर आयुक्त अब्दुल हमीद बताते हैं कि नगर निगम के सभी वार्डों में ट्रेचिग ग्राउंड बनाने का निर्देश है, लेकिन भूमि के अभाव समेत अन्य कारणों से योजना शिथिल है। रतनपुर व बाघा में तैयार प्रामाणिक जैविक खाद आम नागरिक खरीद रहे हैं। किसानों की भी दिलचस्पी बढ़ी है। जल्द ही कचरा प्रबंधन से नगर निगम को होने वाले अतिरिक्त आय में बढ़ोतरी होगी, वहीं शहर भी स्वच्छ होगा।


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