खुले में शौच की मिली ये सजा- कान पकड़ उठक-बैठक फिर लोटा को कराया प्रणाम
बिहार के एक जिले में खुले में शौच करने गए कुछ लोगों को अधिकारियों ने अजीबोगरीब सजा दी। साथ ही उन्हें अपमानित भी किया। इससे पूरे इलाके में आक्रोश है। पूरी घटना जानिए इस खबर में।
बेगूसराय [जेएनएन]। जिले को पूर्णत: बिहार में स्वच्छता की मुहिम के तहत जिलों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके तहत शौचालय निर्माण के साथ-साथ खुले में शौच से होने वाली हानि की जानकारी भी दी जा रही है। लेकिन कहीं-कहीं अधिकारी जबरदस्ती पर भी उतर आए हैं। ऐसा ही एक मामला बेगूसराय के तेघड़ा प्रखंड स्थित धनकौल में देखने को मिला। वहां, एक अधिकारी ने खुले में शौच को जाने वाले लोगों के साथ अभद्रता की, उन्हें पीटा, कान पकड़वाया तथा लोटा को भी प्रणाम कराया।
इस घटना का किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। इसके बाद अधिकारी की मनमानी को लेकर ग्रामीणों में उबाल है। खास बात यह भी है कि घटना जिस बेगूसराय जिले में हुई है, वह सरकार द्वारा ओडीएफ घोषित है। ऐसे में इस सरकारी घोषणा पर भी सवाल उठ गया है।
जानिए क्या है मामला
बीती शाम धनकौल पंचायत के आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण खुले में शौच के लिए निकले थे। उन्हें खुले में शौच के खिलाफ निगरानी करने वाली अधिकारियों की टीम ने पकड़ लिया। अधिकारियों ने सभी को एक कतार में खड़ा कर दिया तथा सभी को खुले में शौच नहीं करने की शपथ दिलाई।
शपथ के दौरान एक युवक को हंसी आ गई। इसपर भ्रमणशील प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ. ललन कुमार को गुस्सा आ गया। उन्होंने उस युवक की पिटाई कर दी। बात यहीं नहीं रुकी। कतार में शामिल वृद्ध समेत सभी लोगों से कान पकड़कर उठक-बैठक कराई। हद तो यह हो गई, जब सभी से उनके पानी भरे लोटे को प्रणाम कराया गया।
अधिकारी यहीं नहीं रुके। उन्होंने उनके घर की महिलाओं के विषय में भी अपशब्द बोले। खुले में शौच जाने पर जुर्माना करने की धमकी भी दे डाली। घटनाक्रम के दौरान स्थानीय प्रखंढ विकास पदाधिकारी परमानन्द पंडित समर्थन में मूकदर्शक बने रहे।
पीडि़तों ने कही ये बात
घटना के पीडि़त मोहन पासवान, कृष्णानंद पासवान, राजेश पासवान, राजो पासवान व गोलू कुमार ने बताया कि आज भी उनकी पंचायत के कई घरों में शौचालय नहीं बने हैं। कुछ घरों में अब भी ईंट जोड़े जा रहे हैं। इस ऐसे में बाहर शौच जाना गांव वालों की मजबूरी है। अगर शौचालय नहीं बने तो पूरा जिला ओडीएफ कैसे घोषित हो गया, इसपर उन्होंने कहा कि यह तो अधिकारी ही बता सकते हैं।
गुस्से में ग्रामीण
इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि खुले में शौच करने से मना करने के और भी कई तरीके हैं। सरकार द्वारा खुले में शौच से मुक्ति के लिये तरह-तरह के उपाय किये जा रहे हैं। संबंधित अधिकारियों को लोगों को समझा बुझाकर शौचायल में शौच के लिए प्रेरित करना है। अधिकारियों के इस रवैये से काफी रोष है।
ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ने प्रशासन की रिपोर्ट पर बेगूसराय जिले को छठा ओडीएफ जिला घोषित तो कर दिया, लेकिन हकीकत बयां करने के लिए यह घटना ही काफी है। यह तो केवल एक पंचायत का मामला है। जांच हो तो और भी कई पंचायतों में लोग खुले में शौच को जाते मिलेंगे।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सभी शौचालय बनाना चाहते हैं। लेकिन रुपये नहीं रहने से कई गरीब परिवार लाचार हैं। सरकार के नियम के अनुसार शौचालय बनाने के बाद पैसे का भुगतान होना है। इस वजह से कई गरीब परिवार अभी भी शौचालय से वंचित हैं।
बीडीओ ने कही ये बात
प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) परमानन्द पंडित ने कहा कि धनकौल पंचायत में 1074 घरों में शौचालय निर्माण के लिए आवेदन प्राप्त हुआ था। प्राप्त आवेदन के आलोक में सभी घरों में शौचालय का निर्माण करा दिया गया है।
डीएम ने दिया जांच का आदेश
आरोप के घेरे में आए प्रखंड भ्रमणशील पशुपालन पदाधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल लगातार ऑफ है। उधर, डीएम राहुल कुमार ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अधिकारियों का जनता के प्रति ऐसा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले की जांच में दोषी पाए जाने पर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।