एसएनसीयू में साढ़े छह माह के नवजात की सरफैक्टेंट थेरोपी से बची जान
बेगूसराय। डाक्टर धरती के भगवान होते हैं। यह कथन वर्तमान में उस समय चरितार्थ होता दिखा जब बेगूसराय के एक निजी अस्पताल में समस्तीपुर जिला के विभुतिपुर थाना के माधोपुर निवासी अत्यंत गरीब महिला अनिता देवी ने 25 जून को साढ़े छह माह के बच्चे को जन्म दिया।
बेगूसराय। डाक्टर धरती के भगवान होते हैं। यह कथन वर्तमान में उस समय चरितार्थ होता दिखा, जब बेगूसराय के एक निजी अस्पताल में समस्तीपुर जिला के विभुतिपुर थाना के माधोपुर निवासी अत्यंत गरीब महिला अनिता देवी ने 25 जून को साढ़े छह माह के बच्चे को जन्म दिया। इस प्रिमैच्योर बच्चा का वजन सिर्फ 940 ग्राम था। सदर अस्पताल के एसएनसीयू में बच्चे को लाने पर नोडल पदाधिकारी डा. कृष्ण कुमार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए सरफैक्टेंट थेरोपी (नियोसर्फ )आरंभ किया। महंगी सुई उपलब्ध कराते हुए 12 दिनों के अथक प्रयास से बच्चे की स्थिति को नियंत्रित किया। फिलहाल बच्चे को खतरा से बाहर मानते हुए उसे एसएनसीयू से गुरुवार को डिस्चार्ज करने का निर्णय लिया है। बच्चे की मां ने कहा कि गरीब के बच्चे को जीवनदान मिला है।
बताते चलें कि निजी क्लीनिक में प्रिमैच्योर बच्चा को देख डाक्टर सहित सभी आश्चर्यचकित थे। बच्चा के बचने की संभावना को नगण्य देखते हुए उसे आनन-फानन में सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भेज दिया गया। एसएनसीयू के नोडल पदाधिकारी डा. कृष्ण कुमार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए बीते 12 दिन तक निगरानी में सरफैक्टेंट थेरोपी से बच्चे की सेहत में निरंतर सुधार देख उत्साहित होकर लगे रहे। पूरे राज्य के एसएनसीयू के प्रभारियों के वाट्सएप ग्रुप में भी राज्य के पदाधिकारियों ने एसएनसीयू में सरफैक्टेंट थैरोपी से सफलतापूर्वक साढ़े छह माह के इस प्रिमैच्योर बच्चा का इलाज करने पर बेगूसराय एसएनसीयू प्रबंधन की प्रशंसा एवं राज्य के अन्य एसएनसीयू के लिए एक प्रेरणा श्रोत बताया है। डा. कृष्ण कुमार ने बताया कि इस 12 दिनों बच्चे के हुए इलाज के लिए आमजनों को लगभग दो लाख रुपये खर्च करना पड़ता। यहां निश्शुल्क इलाज हुआ है।