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सिय-रघुवीर विवाह देख लोग हुए हर्षित

बेगूसराय। आज पूरल मनोरथ मोर भरि राजीव नैना वियाह देखलू प्रभु तोर.. अगर शुक्ल पंचमी के दिन

By Edited By: Published: Tue, 15 Dec 2015 08:22 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2015 08:22 PM (IST)
सिय-रघुवीर विवाह देख लोग हुए हर्षित

बेगूसराय। आज पूरल मनोरथ मोर भरि राजीव नैना वियाह देखलू प्रभु तोर.. अगर शुक्ल पंचमी के दिन विश्वनाथ मंदिर के श्री सिय रनिवास में सिय रघुवीर विवाह एवं बारात जुलूस को देखने पहुंचे हजारों सखियां श्रद्धा भक्ति के भाव से विभोर हो रही थी। रामचंद्र मुख्यचंद्र छवि लोचन चारू चकोर। करत पान सादर सकल प्रेम प्रमोदन थे। हर तरफ सिय रघुवीर विवाह जे सप्रेम गाव¨ह, सुनहि तिनक सदा उछाह, मंगलायतन राम यश की पुकार के साथ-साथ सखियां भक्ति व श्रद्धा से कह रही हैं कि मिथिला के नतवा से बढ़ िगेलै शान हे, सिय रवनिवास में। बारात जुलूस में कई बैंड बाजे, हाथी-घोड़े इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे। मिथिलानी जहां अपने पाहुन रघुवीर को दूल्हा के रूप में पाकर र्हिषत थीं, वहीं राजा जनक पीठासीन आचार्य राजकिशोर शरण जी महाराज एवं सुनैना रानी दामाद को परम ब्रह्म को पाकर निहाल। वैष्णव माधुर्य भक्तिपूर्ण परकाष्ठा पर थी और आनंदचित थे मिथिला स²श बीहट वासी। गणेश द्वार से बारात की निकली शोभा यात्रा गांव व बीहट बाजार का भ्रमण कर जनक द्वार से श्री सिय रनिवास में प्रवेश किया। पूरे रास्ते सड़क के दोनों ओर श्रद्धालु भक्त रघुवीर के दर्शन व स्वागत के लिए खड़े थे। जगह-जगह पर भगवान श्रीराम की आरती की गई। न्योछावर स्वरूप पैसे और चॉकलेट लुटाए गए। लोग फूलों की वर्षा करते रहें। मिथिला की सखियां भगवान श्री राम के इंतजार में उनके स्वागत को देवन्ह दिन्हीं, दुनदुभी प्रभु पर वरप¨ह फूल, हरष नर-नारी जब उनके मीरा मोह भय सुल। बारात आगमन के बाद देर रात्रि में कनक दीदी, बनारस की लता दीदी, पटना की शिवानी दीदी, गुड़यिा दीदी, रघुवीर जी, गोपीनाथ पांडेय, उपेंद्र मिश्र, अशोक चौधरी, रवींद्र पांडेय, वैदही शरण जी, राम कुमार मिश्र, केदार ¨सह, खडगनारायण ¨सह, पप्पु ¨सह, केदार प्रसाद, उमा गुप्ता, विपिन ¨सह, अवध किशोर शुक्ला, रामकिशोर शुक्ला, नवल किशोर ¨सह, जयप्रकाश ¨सह सरीखे बाहर से आए लोग एवं स्थानीय लोगों के द्वारा भगवान का परछन किया। जनक बने पीठासीन आचार्य श्री राजकिशेर शरण जी महाराज कहते हैं कि जवही ते सुनलौ माई हे ब्रह्मा पहनुमा त कथि लागी करवै जागो वरतवा हे राम। वैष्णव माधुर्य भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक श्री जानकी विवाह महोत्सव के तीसरे दिन आज दूल्हा चितचोर को 56 प्रकर के व्यंजन खिलाएं जाएंगे।

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