हरा-लाल सिग्नल सिस्टम को बाय करेगा रेलवे, ऐसे रुकेंगी दुर्घटनाएं, जानिए
रेलवे अब लाल हरा सिग्नल सिस्टम को बदलने जा रहा है, इसकी जगह नया सिग्नल सिस्टम लागू होगा जिससे रेल दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
बेगूसराय [जेएनएन]। अब कोहरे में ट्रेनें न तो लेट होंगी, न ही दुर्घटनाग्रस्त। रेलवे दुर्घटनाओं में कमी लाने हेतु अब बहुत जल्द ही वर्तमान सिग्नल प्रणाली को पूरी तरह से बदलने पर विचार कर रही है। अभी तक लोकोमोटिव चालकों के लिए वर्षों से चली आ रही लाल-हरा-पीला सिग्नल की व्यवस्था को समाप्त करने का मन बना लिया है।
जानकार लोगों का कहना है कि रेल मंत्रालय पूरे देश में वर्तमान सिग्नल प्रणाली को बदलने के लिए लगभग 60 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। इसके लिए एल्सटॉम, एनसल्डो, सिमंस, बॉम्बार्डियर एवं थेल्स सहित यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) की कुल छह प्रमुख कंपनियां देश में सिग्नल प्रणाली पर काम कर रही है।
बताया जाता है कि ईटीसीएस प्रणाली में ट्रेन चालक के लिए एक डैश बोर्ड होता है, जिससे पता चलता है कि कितनी दूरी आगे बढऩे के लिए वे सुरक्षित हैं। साथ ही इसमें एक स्पीडोमीटर भी रहता है जो हरे रंग में गति की सीमा निर्धारित करता है और पीले रंग में ट्रेन की रफ्तार दिखाता है।
चालक जैसे ही ट्रेन की रफ्तार को तेज करता है कि डैश बोर्ड पर लाल रंग का अलर्ट दिखने लगेगा। अगर चालक तेज गति के साथ पांच किलोमीटर की दूरी तय करता है तो ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगी।
वर्तमान समय में ट्रेन चालकों के पास ऐसी कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है। वे पूरी तरह स्टेशनों के आगे जले सिग्नल पर ही निर्भर हैं। इससे घने कोहरे एवं खराब मौसम में जरा सी चूक होने पर दुर्घटना का कारण बन जाती है।
नई तकनीक लाल-हरा सिग्नल का स्थान लेगी और वर्तमान समय की लाल-हरा सिग्नल व्यवस्था को समाप्त कर दी जाएगी।