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पटना हाईकोर्ट गुस्से में, बालिका गृह अधीक्षिका को कस्टडी में लेने का आदेश, जानें मामला

कानून कब किस पर उलटा पड़ जाए कहना मुश्किल है। ऐसा हुआ है बेगूसराय की बालिका गृह अधीक्षिका के साथ। पटना हाईकोर्ट ने उन्‍हें कस्‍टडी में लेने का आदेश दिया।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 08:02 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 08:02 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट गुस्से में, बालिका गृह अधीक्षिका को कस्टडी में लेने का आदेश, जानें मामला
पटना हाईकोर्ट गुस्से में, बालिका गृह अधीक्षिका को कस्टडी में लेने का आदेश, जानें मामला

पटना [निर्भय सिंह]। कानून कब किस पर उलटा पड़ जाए, कहना मुश्किल है। ऐसा हुआ है बेगूसराय की बालिका गृह अधीक्षिका के साथ। उन्हें बुधवार को एक बजे रिमांड होम में बंद लड़की नेहा कुमारी को पटना हाईकोर्ट में हाजिर कराना था। वे किसी कारणवश ऐसा नहीं कर पाईं। नाराज कोर्ट ने अधीक्षिका के खिलाफ वारंट जारी करते हुए बेगूसराय एसपी को आदेश दिया कि वे उन्हें कस्टडी में ले कोर्ट में हाजिर कराएं। साथ ही रिमांड होम में बंद बालिका को 29 मार्च को हाजिर कराने का निर्देश भी दिया। 

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दरअसल सरकारी वकील उमानाथ मिश्रा ने कोर्ट को बताया था कि डीएम ऑफिस में फैक्स भेजकर अधीक्षिका को कोर्ट में हाजिर होने की सूचना दे दी गई थी। कोर्ट अधीक्षिका के व्यवहार से नाराज हो गई। इसी पर कोर्ट में आज सुनवाई हुई।  

कोर्ट उस लड़की से जानना चाह रही है कि क्या उसने कोर्ट में जमानत लेने आए राजकुमार से शादी कर ली है। या फिर अभियुक्त कोर्ट के सामने झूठ बोल कर बेल लेना चाहता है। लड़की के मां-बाप ने अभियुक्त पर नाबालिग लड़की को भगा कर ले जाने का आरोप लगाया है। केस होने पर वह जमानत के लिए हाईकोर्ट में आया है। अभियुक्त का कहना है कि उसने लड़की को भगाया नहीं है, बल्कि उससे शादी की है। वह अब मेरी पत्नी है, लेकिन नाबालिग होने का बहाना बना कर उसे बालिका गृह में बंद करवा दिया गया है। लड़की कोर्ट में आएगी तो सबकुछ सच-सच बता देगी। कोर्ट ने राजकुमार की बात मान ली है।

इस मामले पर न्यायाधीश एस कुमार की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। न्यायालय यह भी देखना चाह रही है कि क्या लड़की वास्तव में नाबालिग है अथवा केस को गंभीर बनाने के लिए उसे नाबालिग बना दिया गया। लड़के ने दावा किया है कि उसकी पत्नी को जबरन उसकी इच्छा के खिलाफ बंद करवा दिया गया है। कोर्ट में उपस्थित होने के बाद तय होगा कि अभियुक्त का दावा कितना सही है।


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