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सीधी बोआई से धान की खेती में लगती है कम लागत, होती है अधिक उपज

बेगूसराय। इस वर्ष मानसून बरस नहीं रहा है इससे खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान की रोपनी नहीं हो पा रही है। जिले के प्रमुख धान उत्पादक मंझौल अनुमंडल क्षेत्र की बात करें तो 10 प्रतिशत भी रोपनी नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 06:53 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 06:53 PM (IST)
सीधी बोआई से धान की खेती में लगती है कम लागत, होती है अधिक उपज
सीधी बोआई से धान की खेती में लगती है कम लागत, होती है अधिक उपज

बेगूसराय। इस वर्ष मानसून बरस नहीं रहा है, इससे खरीफ मौसम की प्रमुख फसल धान की रोपनी नहीं हो पा रही है। जिले के प्रमुख धान उत्पादक मंझौल अनुमंडल क्षेत्र की बात करें तो 10 प्रतिशत भी रोपनी नहीं हो पाई है। वर्तमान समय में आजमाए गए पुरानी पद्धति में नए वैज्ञानिक कृषि खोजों को समाहित कर किसान उन्नत खेती कर रहे हैं। अब डीएसआर यानी सीधी बोआई विधि से दर्जनों किसान धान की खेती कर कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं।

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प्रगतिशील किसान सलाहकार अनीश कुमार ने पिछले वर्ष आठ एकड़ भूमि पर धान की खेती तीन विधियों से की थी। इसमें डीएसआर विधि किसानों के लिए वरदान साबित होने वाला है। डीएसआर विधि से धान की अधिक उपज हुई। अनियमित वर्षा एवं अतिवृष्टि दोनों परिस्थिति में किसान इस विधि से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

ऐसे करें धान की सीधी बोआई : कृषि विज्ञानी डा. राम कृपालु सिंह बताते हैं कि आषाढ़ मास का अंतिम सप्ताह धान रोपनी का महत्वपूर्ण समय है। वर्षा नहीं हो रही है तो घबराने की जरूरत नहीं है। सीधी बोआई एक ऐसी तकनीक है इसमें धान की रोपाई नहीं कर धान मशीन से खेत में बोआई की जाती है।

सीधी बोआई में धान जीरो टिलेज मशीन से दो से तीन सेंटीमीटर गहराई पर बोई जाती है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 18 से 20 सेंटीमीटर रखी जाती है। धान की सीधी बोआई में जमाव से पूर्व और जमाव के बाद खरपतवार नाशी का प्रयोग किया जाता है। इसमें जमाव से पूर्व पेंडिमैथलीन या प्रेटिलाक्लोर सेफरन नामक दवा का प्रयोग करते हैं। जमाव के बाद बिस्पाइरीबेक सोडियम नामक दवा का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि छह किलो धान में 50 किलो डीएपी या एनपीके के साथ मिश्रित कर बोआई करें।

खेत में कादो करने की नहीं है जरूरत : जिले में वर्षा अनियमित होती रही है। जबकि धान की खेती में पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है। पानी खरीदकर पटवन सभी किसान नहीं कर सकते हैं।

धान फसल रोग विशेषज्ञ संजीव कुमार ने बताया कि किसानों को मिट्टी में फिपरोनिल का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे दीमक तथा तना छेदक कीड़ों से पौधों को निजात मिल सकेगा।

कृषि विज्ञानी ने बताया कि एक एकड़ जमीन में धान की खेती करने पर बिचड़ा गिराने से रोपने तक 20 दिन का समय एवं 10 हजार रुपये की लागत आती है। वहीं सीधी बोआई से खेती करने पर उर्वरक, बीज एवं बीज गिराने के यंत्र का भाड़ा जोड़कर मात्र दो हजार रुपये अधिकतम लागत आती है। कृषि सलाहकार अनीश कुमार ने बताया कि सीधी बोआई के लिए दशकों से देसी प्रजापति उपयुक्त मानी जाती रही है, परंतु भागलपुरी कतरनी समेत सभी हाइब्रिड धान भी उपयुक्त हैं।


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