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ओवरलोड वाहनों से राजेंद्र पुल को खतरा

बेगूसराय उत्तर व दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला गंगा पर बने लगभग दो किलोमीटर लंबा राजेंद्र रेल सह सड़क पुल बिहार का इकलौता रेल व सड़क पुल है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:09 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 06:31 AM (IST)
ओवरलोड वाहनों से राजेंद्र पुल को  खतरा
ओवरलोड वाहनों से राजेंद्र पुल को खतरा

बेगूसराय : उत्तर व दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला गंगा पर बने लगभग दो किलोमीटर लंबा राजेंद्र रेल सह सड़क पुल बिहार का इकलौता रेल व सड़क पुल है। पटना जिले के हथिदह के पास इस सड़क-सह-रेल पुल का उद्घाटन 1959 ई. में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने किया था। पुल का निर्माण ब्राथवाइट बर्न एंड जेसॉप कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया था। इसमें दो लेन वाली सड़क और एक लाइन रेलवे ट्रैक है। सरकार की शिथिलता व समय पर मेंटेनेंस कार्य नहीं होने के कारण उत्तर व दक्षिण बिहार का लाइफ लाइन कहे जाने वाला यह पुल क्षतिग्रस्त हो रहा है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा इस पुल के समानान्तर सिक्स लेन सड़क व रेल पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया है। 12 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी है। 2022 तक पूरा करने का है लक्ष्य : केंद्र सरकार द्वारा इस नए पुल के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2022 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अर्थात 2022 में इस नए पुल का निर्माण कार्य संपन्न हो जाएगा। यहां रेलवे पुल निर्माण का कार्य इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। जबकि सिक्स लेन पुल का निर्माण कार्य वेलस्पेन एवं एसपी शिगला कंपनी द्वारा किया जा रहा है। जो साढ़े ग्यारह सौ करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है। सिक्स लेन पुल 18 पीलर पर करीब साढ़े आठ किलोमीटर लंबी होगी। सोलह टन वजनी वाहनो को ही देना है पास :

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राजेन्द्र पुल के सड़क मार्ग से मात्र सोलह टन वजनी वाहनों का ही परिचालन होना है। रेलवे व एनएचआइ विभाग द्वारा भी राजेंद्र पुल के सड़क मार्ग से सोलह टन वजनी वाहनों के परिचालन करने का निर्देश जारी किया गया था। इसको ले पुल के दोनों तरफ बोर्ड भी लगाया गया। परंतु जिला प्रशासन की लापरवाही से राजेंद्र पुल पर सोलह टन के वजनी वाहनों से अधिक वजनी वाहनों के परिचालन धड़ल्ले से होने लगा। ओवरलोड वाहनों के परिचालन होने से पुल के कई गार्टर में दरार आ गई। कई जगह पुल की ढलाई टूट गया। जिसके बाद रेलवे प्रशासन द्वारा राजेंद्र पुल के दोनों तरफ लोहे का हाइटगेज लगा कर पुल पर ओवरलोड व 16 टन से ज्यादा वजनी वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। लंबे समय तक वजनी वाहनों का परिचालन रहा बंद :

तत्कालीन सांसद स्व. डॉ. भोला सिंह एवं पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने जर्जर पुल का मामला केन्द्र एवं राज्य सरकार के अलावा उच्च न्यायालय में उठाया। उसके बाद बंगाल की कंपनी द्वारा पुल के स्पेन की मरम्मत, ढलाई व टूटे गार्टर को बदलने का कार्य किया गया। उसके बाद पुल पर वजनी वाहनों का परिचालन फिर से शुरु हो सका। फिर मंडराने लगा है खतरा :

पुल की मरम्मत के बाद जैसे ही हाईटगेज हटाया गया, पुल पर ओवरलोड वाहनों का परिचालन धड़ल्ले से शुरु हो गया। यह अब भी जारी है। जबकि पटना एवं बेगूसराय जिला प्रशासन द्वारा ओवरलोड वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए गए। लेकिन सब बेकार साबित हुआ। पुल पर साठ टन से अधिक वजनी वाहनों का परिचालन धड़ल्ले से हो रहा है। जिस वजह से राजेंद्र पुल के टूटने का खतरा बन गया है। पुल पर सड़क किनारे बालू जमा होने से पुल पर पानी जमा हो जाता है। जिसके कारण सड़क मार्ग में धीरे-धीरे गड्ढे बनने लगे हैं। संयुक्त जांच केन्द्र-

डीएम राहुल कुमार के बेगूसराय आगमन के बाद राजेंद्र पुल की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाते हुए जीरोमाइल के पास ओवरलोड वाहनों के धड़-पकड़ हेतु संयुक्त जांच केन्द्र बनाया गया। जो महज वसूली केन्द्र बनकर रह गया। अब भी प्रति दिन सैकड़ों ओवरलोड वाहन पुल से गुजर रहे हैं। अब भी यदि पुल पर ओवरलोड वाहनों के परिचालन पर रोक नहीं लगाई गई, तो वो दिन दूर नहीं कि राजेन्द्र पुल से वजनी वाहनों के परिचालन पर फिर से रोक लगाना पड़े। जबकि अभी सिक्स लेन पुल निर्माण कार्य पूरा होने में वक्त है। ऐसी स्थिति में उत्तर व दक्षिण बिहार के लोगों के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। कारोबार भी हो सकता है प्रभावित : यदि पुल पर फिर से वजनी वाहनों के परिचालन पर रोक लगती है, तो यहां का कारोबार भी प्रभावित हो सकता है। दरअसल बालू, स्टोन समेत अन्य सामान अधिकांश इसी पुल से होकर बेगूसराय आता है। यहां तक कि बड़े बसों का परिचालन भी इसी पुल से होता है। जो बंद होने पर जिले के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।


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