फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश
बेगूसराय। फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिलास्तरीय अंतर-विभागीय कार्य समूह की बैठक शुक्रवार को डीएम अरविद कुमार वर्मा की अध्यक्षता में कार्यालय कक्ष में हुई। इसमें किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान इसके लिए किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश डीएम ने अधिकारियों को दिया।
बेगूसराय। फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिलास्तरीय अंतर-विभागीय कार्य समूह की बैठक शुक्रवार को डीएम अरविद कुमार वर्मा की अध्यक्षता में कार्यालय कक्ष में हुई। इसमें किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान, इसके लिए किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश डीएम ने अधिकारियों को दिया।
बैठक के दौरान डीएम ने फसल अवशेष प्रबंधन की पृष्ठभूमि की जानकारी लेने के बाद अंतर-विभागीय कार्य समूह से संबंधित विभागों यथा कृषि विभाग, वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के पदाधिकारियों को अपने-अपने उत्तरदायित्वों के अधीन फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति व्यापक रूप से जागरुकता लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करने का निर्देश दिया। उन्होंने डीएओ को आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने, किसानों को फसल अवशेष जलाने के बजाए खेत की सफाई के लिए बेलर मशीन का प्रयोग करने, फसल अवशेष से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने, मल्चिग विधि से खेती के लिए प्रोत्साहित करने के संबंध में जानकारी देने, किसान चौपाल का आयोजन करने आदि निर्देश दिए। उन्होंने जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को एएनएम एवं आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से फसल अवशेषों के जलाने से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के संबंध में लोगों को जागरूक करने, डीईओ को छात्र-छात्राओं के बीच फसल अवशेष नहीं जलाने पर वाद-विवाद एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित करने के साथ-साथ चेतना सत्र में बच्चों को इस संबंध में जानकारी देने के साथ ही अन्य सभी विभागों को भी व्यापक जागरुकता के लिए कार्य करने का निर्देश दिया। डीएम ने डीएओ को फसल अवशेष प्रबंधन पर जागरुकता आधारित बैनर, पंपलेट आदि सभी संबंधित विभागों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
उन्होंने किसानों से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने की अपील करते हुए कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है, और भी जलकर नष्ट हो जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। कहा, एक टन पुआल जलाने से वातावरण को होने वाले नुकसान के कारण तीन किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोक्साइ, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड, 199 किलोग्राम राख, दो किलोग्राम सल्फर डाइआक्साइड उत्सर्जित होता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह है। इससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक में तकलीफ, गले की समस्या आदि उत्पन्न होती है। बैठक में उप विकास आयुक्त, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला जन-संपर्क पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी सहित अन्य संबंधित विभागों के पदाधिकारी मौजूद थे।