कहीं मजबूरी, कहीं समझदारी से निकला रास्ता
जागरण संवाददाता बांका शिक्षा में संसाधन बढ़ने के बाद भी बचों की पढ़ाई के लिए पुस्तकें पहली जरूरत है। सरकारी विद्यालयों में पहली से आठवीं तक के बचों सरकार पुस्तक खरीद के लिए राशि देती है। मौजूदा शैक्षणिक सत्र का डेढ़ महीना से अधिक समय निकल जाने के बाद भी बचों को इसकी राशि नहीं आई है। ना ही पुस्तक खरीद के लिए अभी सीआरसी स्तर पर मेला लगा है।
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- अधिकांश अभिभावक खाते में राशि आने का कर रहे इंतजार
- कुछ बच्चों ने उपरी कक्षा के बच्चों से दोस्ती कर उनकी पढ़ी पुस्तकों से शुरू कर दी है पढ़ाई
जागरण संवाददाता, बांका : शिक्षा में संसाधन बढ़ने के बाद भी बच्चों की पढ़ाई के लिए पुस्तकें पहली जरूरत है। सरकारी विद्यालयों में पहली से आठवीं तक के बच्चों सरकार पुस्तक खरीद के लिए राशि देती है। मौजूदा शैक्षणिक सत्र का डेढ़ महीना से अधिक समय निकल जाने के बाद भी बच्चों को इसकी राशि नहीं आई है। ना ही पुस्तक खरीद के लिए अभी सीआरसी स्तर पर मेला लगा है।
एक तरफ बच्चे राशि आने और मेला लगने का इंतजार कर रहे हैं तो कुछ बच्चों ने समझदारी दिखाते हुए अपने से उपरी कक्षा के बच्चों से यारी कर पुरानी और उनकी पढ़ी पुस्तकों से पढ़ाई शुरू कर दी है। इस विषय का बड़ा सच यह भी कि बैंक खाता में राशि जाने के बाद भी शिक्षा विभाग बड़ी संख्या में बच्चों को पुस्तक नहीं खरीद करवा सकी। अभिभावकों ने बच्चों के पैसे दवाई, खाद-बीज से लेकर किसी जरुरी काम में खर्च कर दिया है।
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बच्चों की राय
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अभी विद्यालय में कैचअप कोर्स चल रहा है। इसमें बच्चों को पिछली कक्षा की ही पुस्तकें पढ़ाई जा रही है। इसलिए परेशानी नहीं है। अगर अगले कुछ महीने भी पुस्तकें नहीं मिलती है तो पढ़ाई में जरूर मुश्किल होगी। सरकार इसे समय पर बच्चों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना चाहिए।
दिव्या दर्वे, मध्य विद्यालय भनरा
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पुस्तक बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे जरूरी है। हमलोग अभी नई पुस्तकें नहीं देख सके हैं। कुछ साथी के पास भले ही पुरानी पुस्तकें उपलब्ध हो गई है। राहत यही है कि विद्यालय की कक्षा में अभी पिछली कक्षा की ही पढ़ाई कराई जा रही है।
चंदा कुमारी, मध्य विद्यालय भनरा
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अभी उसने नई पुस्तक नहीं खरीदी है। सुनने में आया है कि जल्द ही उसके विद्यालय में पुस्तक खरीद का मेला लगने वाला है। वह अपने अभिभावक से जिद कर सभी पुस्तक का खरीद करवा लेगी। पुस्तक उपलब्ध रहने पर पढ़ाई में सुविधा होती है।
अनुपम कुमारी, प्राथमिक विद्यालय कठेल
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सरकार सभी बच्चों को पुस्तकें खरीदने का पैसा देती है। अगर यह राशि शैक्षणिक सत्र शुरु होने से पहले मिल जाए, तो सभी बच्चे समय पर पुस्तकें खरीद लेंगे। लेकिन पिछली बार भी उसने कई महीने बिना पुस्तक के ही पढ़ा। इस बार भी अभी पुस्तक नहीं मिली है।
काजल कुमारी, न्यू एनपीएस कठेल अमरपुर
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घर वालों को पता है कि पुस्तक खरीदने का पैसा बच्चों को मिलेगा। इसलिए वे इसका पैसा आने का इंतजार करते हैं। सरकार समय पर पैसा देती नहीं है, इसलिए पुस्तक हर बाद देरी से मिलती है।
कविता कुमारी, आनंदपुर
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परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है कि वे बच्चे को पुस्तक खरीद कर दें। सभी बच्चे सरकार से पैसा मिलने का इंतजार करते हैं। अब समय पर पैसा नहीं आएगा तो पुस्तक कैसे खरीदेंगे। बिना पुस्तक पढ़ाई में परेशानी जरूर होती है।
रानी कुमार, लखनौड़ी