अब जिले के किसान घर बैठे जानेंगे मौसम का हाल
बांका। अब जिले के किसान घर बैठे मौसम का हाल जान सकेंगे। सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना की शुरुआत की है।
बांका। अब जिले के किसान घर बैठे मौसम का हाल जान सकेंगे। सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना की शुरुआत की है। इसके लिए पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (इएसएसओ), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), की ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जीकेएमएस) कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से सप्ताह में दो दिन मंगलवार एवं शुक्रवार को जिला स्तर पर किसानों को फसल संबंधी विशिष्ट परामर्श देगी। जो किसानों तक ¨प्रट, विजुअल, रेडियो, आइटी अधारित लघु संदेश सेवा (एसएमएस) इंटीग्रेटेड वॉयस रिस्पांस सिस्टम (आइवीआरएस) के जरिये पहुंचाई जाएगी। इसके लिए केविके किसानों को ह्वाट्सएप एवं इमेल पर मौसम की पूर्व जानकारी देगी। जिससे मौसम में अचानक हुए परिवर्तन से होने वाले फसल नुकसान की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सके।
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केविके में स्थापित होगा ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम स्थापित :
किसानों को मौसम की जानकारी देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में ऑटोमेटिक वेदर सिस्टम भी स्थापित किए जाने की योजना है। लेकिन अभी किसानों को मौसम की जानकारी भारतीय मौसम विभाग द्वारा केविके के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए यहां एक मौसम वैज्ञानिक की भी नियुक्ति कर दी गई है। जो किसानों को मौसम की पूर्व जानकारी देने के साथ ही उसे मौसम के मुताबिक फसल उत्पादन करने व अचानक बदले मौसम के मिजाज से फसलों के बचाव की भी जानकारी देगी।
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ब्लॉक लेवल पर स्थापित होगा एग्रोमेट इकाई :
जिले में ब्लॉक लेवल पर एग्रोमेट इकाईयां स्थापित की जाएगी। जो आइसीएआर और केविके के एसएयू को सु²ढ़ करेगा। जिसके माध्यम से ब्लॉक स्तर पर मौसम पूर्वानुमान की जानकारी दी जाएगी। जिससे 50 फीसद कृषि समुदाय को कवर किया जाएगा। इसके लिए मौसम वैज्ञानिक जिले के सभी प्रखंडो की भौगोलिक स्थिति, मौसम व फसल उत्पादन का डाटाबेस तैयार कर रही है। जिसके आधार पर अचानक मौसम में होने वाले परिवर्तन से निपटने की जानकारी किसानों को दी जा सके।
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उपलब्ध कराए जाएंगे कस्टमाइज्ड परामर्श सूचना बुलेटिन :
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना के जरिए क्षेत्र के किसानों को प्रखंड स्तर पर सूचना जारी किए जाएंगे। फसल मौसम बीमा के कार्यान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर परामर्श सूचनाओं को जारी किया जाएगा। कृषि सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए नोडल केंद्र के रूप में जला एगोमेट इकाइयां स्थापित होगी। निजीकृत एगोमेट परामर्श सूचना सेवाओं के साथ ही किसान को अंतिम मील संपर्कता के माध्यम से कस्अमाइज्ड परामर्श सूचना बुलेटिन उपलब्ध कराए जाएंगे।
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कोट
मौसम में हो रहे परिवर्तन से किसानों को फसल उत्पादन में होने वाले नुकसान से बचाने के लिए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना शुरु की गई है। जिसके जरिए किसानों को मौसम की पूर्व जानकारी के साथ ही मौसम के अनुरूप फसल उत्पादन के भी टिप्स दिए जाएंगे।
आरके सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, सबौर कृषि विश्वविद्यालय
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फोटो - 19 बीएएन 13
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा योजना को धरातल पर उतारने के लिए प्रखंड स्तर पर किसानों, क्षेत्र की भौगोलिक संरचना, मौसम एवं फसल उत्पादन के डाटाबेस तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ ही किसानों के मोबाइल नंबर व इमेल आईडी भी लिए जा रहे हैं। जिससे उसे वाट्सएप व इमेल पर मौसम की पूर्व जानकारी दी जा सके।
जुबली साहू, मौसम वैज्ञानिक