जयपुर काली मेला में मिल गया भक्त मोइजुद्दीन का नाम
संवाद सूत्र जयपुर (बांका) तथाकथित धर्मगुरु से लेकर राजनेता तक एक-दूसरे के धर्म पर आग उगलते बाज नहीं आते हैं। यह देश और समाज की सदभावना को अक्सर बिगाड़ती रही है वहीं जयपुर के दफादार मु. मोइजुद्दीन मां काली का भक्त बन सामाजिक सद्भाव का पैगाम बांट रहे हैं।
-तंत्र के गण.......
फोटो- 23 बीएएन 13
संवाद सूत्र, जयपुर (बांका) : तथाकथित धर्मगुरु से लेकर राजनेता तक एक-दूसरे के धर्म पर आग उगलते बाज नहीं आते हैं। यह देश और समाज की सदभावना को अक्सर बिगाड़ती रही है वहीं, जयपुर के दफादार मु. मोइजुद्दीन मां काली का भक्त बन सामाजिक सद्भाव का पैगाम बांट रहे हैं।
अवकाश प्राप्त 62 वर्षीय मोइजुद्दीन जयपुर थाना के बतौर दफादार थे। करीब चार दशक पहले जयपुर क्षेत्र में पुलिस की पहुंच नहीं होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था का दारोमदार मोहिउद्दीन पर ही था। उस दौरान एकाएक उनके मन में काली पूजा करने की जिज्ञासा हुई। पहले उन्हें लगा कि उनके विचारों का समाज, घर और परिवार में पूरा विरोध होगा। बावजूद उन्होंने अपने पिता सुल्तान अहमद के सामने जयपुर क्षेत्र में काली प्रतिमा स्थापित कर मेला लगाने का विचार रखा। पिता के मौन धारण पर उन्होंने कहा कि किसी दूसरे धर्म पर कीचड़ उछालना या दुष्प्रचार करना अपराध है। मगर हर कोई एक दूसरे धर्म का सम्मान करना सीख ले तो देश में गंगा-जमुनी तहजीब अमर हो जाएगा। पिता सुल्तान ने भी इनके नेक इरादों पर मुहर लगा दी। फिर क्या था हिदू समाज के भी आधा दर्जन लोग इनके विचारों से सहमत होकर साथ आ गए। इसके साथ ही इलाके का पहला काली पूजा महोलियाबरन चौक पर एक झोपड़ी में मां काली की प्रतिमा स्थापित कर शुरू हो गया। मेला की शुरुआत धीरे-धीरे विस्तार लेता गया। अब झोपड़ी की जगह भव्य मंदिर बन चुका है और पिछले दस वर्षों से जगह कम पड़ने पर मेला कैलाश मिश्र उच्च विद्यालय खेल मैदान तक विस्तार पा गया है। इस मेला को लोग मोइजुद्दीन काली के नाम से जानते हैं। जयपुर थानाध्यक्ष मुरलीधर साह ने बताया वाकई में जयपुर हिदू मुस्लिम आपसी सद्भाव का एक अद्भुत मिसाल पेश कर रहा है। रामनवमी, दुर्गा पूजा, मोहर्रम, ईद पर अधिकांश जगहों पर पुलिस-प्रशासन को एड़ी चोटी एक करना पड़ता है। वहीं जयपुर में दुर्गा विसर्जन एवं मोहर्रम जुलूस साथ-साथ होता देख उन्हें भी आश्चर्य हो गया।