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सूखा कचरा से जैविक खाद बनाने की योजना

बांका। नगर पंचायत की ओर से अमरपुर शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में ठोस रणनीति भी नहीं बनी है जबकि नपं को प्रति वर्ष सरकार तथा होल्डिग टैक्स आदि से शहर के विकास कार्य व स्वछ करने के लिए प्राप्त हो रही है लेकिन अभी भी शहर के परचुन दुकान से सब्जी दुकान पर धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग में सामान दिया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:19 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 10:19 PM (IST)
सूखा कचरा से जैविक खाद बनाने की योजना
सूखा कचरा से जैविक खाद बनाने की योजना

बांका। नगर पंचायत की ओर से अमरपुर शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में ठोस रणनीति भी नहीं बनी है, जबकि नपं को प्रति वर्ष सरकार तथा होल्डिग टैक्स आदि से शहर के विकास कार्य व स्वच्छ करने के लिए प्राप्त हो रही है, लेकिन अभी भी शहर के परचुन दुकान से सब्जी दुकान पर धड़ल्ले से प्लास्टिक बैग में सामान दिया जा रहा है। नपं प्रशासन द्वारा प्लास्टिक बैग के खिलाफ छापेमारी करने के बाद भी इस पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। इस कारण प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए गंभीर संकट बन चुका है। यह मिट्टी में सहज से घुल मिल भी नहीं सकता है। जिसके कारण भूगर्भीय जल का रिचार्जिंग को रोक देता है। साथ ही आवारा पशु का प्लास्टिक का बैग खाने से असमय मौत भी हो रही है।

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शहर में यहां है कचरा डंपिग प्वाइंट :

वीदनचक, पैनियांनाथ के समीप बलूआटीकर मैदान तथा नपं के डुमरामा गांव स्थित अजियार पोखर पर कचरा डंपिग प्वाइंट है। जो खुले में है। नियमत: कचरा को खुले में रखने के सख्त मनाही है। हालांकि अजियार पोखर पर बनाये गये डंपिग प्वाइंट में गीला कचरा और सूखा कचरा को अलग-अलग कर जैविक खाद बनाया जाने की योजना है। जिसको लेकर शेड का भी निर्माण किया गया था, लेकिन दो माह पूर्व आई आंधी से शेड जमींदोज हो गया है और कचरा से जैविक खाद बनाने वाली मशीन नपं कार्यालय में धूल फांक रही है।

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प्लास्टिक कचरा को अलग कर कबाड़ी में बेच दिया जा रहा है। प्लास्टिक की रीसाइक्लिग करने की अभी तक यहां कोई व्यवस्था नहीं है। कचरा को खुले में नहीं रखना है। इसके लिए मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी गोदाम बनाने के टेंडर की प्रक्रिया में है। कचरा से खाद बनाने को लेकर मशीन खरीद हो चुकी है। शीघ्र ही कचरा से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके लिए लोगों को भी जागरुक होना होगा। बिना जागरुकता इस पर विजय पाना कठिन है।

नीलम श्वेता, कार्यपालक पदाधिकारी


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