सब्जी की खेती ने बनाया लखपति
संवाद सूत्र बाराहाट (बांका) प्रखंड क्षेत्र के पड़घड़ी गांव सहित आसपास के दर्जनों गांव में खेती देखने लायक है। कल तक आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों ने मौसमी सब्जी की खेती से अपनी आय का रास्ता तलाश लिया है। किसान आज आर्थिक रूप से सबल होकर लखपति बन रहा है।
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-पड़घड़ी की खेत से दूसरों जिले भेजी जाती है सब्जी
संवाद सूत्र, बाराहाट (बांका): प्रखंड क्षेत्र के पड़घड़ी गांव सहित आसपास के दर्जनों गांव में खेती देखने लायक है। कल तक आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों ने मौसमी सब्जी की खेती से अपनी आय का रास्ता तलाश लिया है। किसान आज आर्थिक रूप से सबल होकर लखपति बन रहा है।
गांव में फूलगोभी, बंधा गोभी, टमाटर, करेला, भिडी, हल्दी, मटर, गाजर, आलू, प्याज, बैगन, धनिया, कद्दू, खीरा, नेनूआ, ब्रोकली, हरी मिर्च, पालक, सरसों, चना आदि का खुद से बीज तैयार कर खेती बड़े पैमाने पर प्रखंड के पड़घड़ी गांव में की जा रही है। यहां प्रत्येक दिन करीब सौ क्विंटल सब्जी इस क्षेत्र से बाजारों तक पहुंच रही है। अब उन्हें परिवार चलाने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है। कभी इस इलाके में किसान व्यापक पैमाने पर गेहूं और धान की खेती करते थे। पर सब्जी की खेती ने आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है। प्रगतिशील किसान पप्पू मंडल, भैरव कुमार ने बताया कि इस बार दो एकड़ में खेती सब्जी की खेती की गई है। बताया कि शुरुआती दौर में वैरायटी की सब्जी की खेती थोड़ी महंगी और जोखिम भरा होता है, लेकिन अब बेहतर बाजार भाव मिलने के कारण किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है। यहां से तैयार सब्जी की सप्लाई बांका, भागलपुर, गोड्डा, दुमका तक की जाती है। बताया कि गेहूं, धान, मक्का सहित अन्य फसलों के प्राकृतिक आपदा के कारण क्षति होने पर सरकार मुआवजा देती है। बीज व खाद पर भी सरकार अनुदान देती है, लेकिन सब्जी की खेती करने वाले किसानों को किसी भी तरह की सहायता सरकार से नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मौसम की मार से सब्जी की फसल बर्बाद होने पर उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है।