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ग्राम प्रोबायोटिक से तैयार होगा सौ टन साइलेज

खेती किसानी --- प्रक्षेत्र दिवस मनाकर थैले में साइलेज बनाने के लिए पशुपालकों को किया गया जागरू

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 11:03 PM (IST)
ग्राम प्रोबायोटिक से तैयार होगा सौ टन साइलेज
ग्राम प्रोबायोटिक से तैयार होगा सौ टन साइलेज

खेती किसानी

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प्रक्षेत्र दिवस मनाकर थैले में साइलेज बनाने के लिए पशुपालकों को किया गया जागरूक - इच्छुक किसानों को केविके मुफ्त में देगा प्रोबायोटिक फोटो: 13बीएन 12

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संवाद सूत्र, बांका:

बांका। अब सौ ग्राम प्रोबायोटि से तैयार होगा सौ टन साइलेज। इसका सफल प्रत्यक्षण केविके द्वारा किया गया है। अब किसानों को इसके लिए जागरूक किया जा रहा है। सोमवार को अमरपुर प्रखंड के सिझुआ गांव में थैले में साइलेज बनाने की सफलतम प्रयोग किया गया। इसमें बांका एवं भागलपुर के 25 किसानों को साइलेज बनाने की जानकारी केविके के पशु विज्ञानी डा. धर्मेंद्र कुमार ने दी है।

ऐसे तैयार होता है साइलेज

पशुओं को सालों भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए यह बहुत अच्छी तकनीक है। जिसमें हरा चारा को साल भर के लिए संगृहित कर रखा जाता है। इसे पशुपालक आवश्यकता अनुसार पशुओं को खिला सकते हैं। इसमें सौ किलो हरा चारा को कुट्टी काटकर एक दिन धूप में सुखाई जाती है। फिर इसमें एक किलो गुड़ एवं एक किलो नमक मिलाकर बोरी में पैक कर इसके साथ प्रोबायोटिक मिलाकर बंद कर दी जाती है। यह 45 दिनों में तैयार हो जाती है।

प्रोबायोटिक क्या है। प्रोबायोटिक साइलेज तैयार करने में लगने वाली केमिकल है। सौ ग्राम प्रोबायोटिक से सौ टन साइलेज तैयार हो जाएगा। सौ ग्राम प्रोबायोटिक की बाजार में कीमत 14 हजार रुपया है। केविके द्वारा इच्छुक किसानों को इसे मुफ्त में दिया जा रहा है।

अब बोरे में तैयार होगा साइलेज

पशु विज्ञानी ने बताया कि अभी तक लोग पीट बनाकर साइलेज तैयार करते थे। इसमें अधिक खर्च आती थी। इसमें इसलेज खराब होने की संभावना अधिक होती थी। लेकिन अब दाना का बोरा या खाद के बोरे में अपने प्रतिदिन बचे हरे चारे को संग्रहित करके साइलेज तैयार कर सकते हैं। एक बोरा में 30 से 35 किलो तैयार होगा। दो दो दिनों में पशुओं को खिला सकते हैं। इस दौरान अमरपुर के प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डा. कृष्णकांत सिंह, आईटीसी डेयरी मुंगेर के पशुपालन मैनेजर डा. शंकर दयाल वर्मा और आईटीसी के अन्य पदाधिकारी मैजूद थे।इस दौरान केविके के प्रधान विज्ञानी डा. मुनेश्वर ने कहा कि पशुपालक नई तकनीक को अपना कर ही आगे बढ़ सकते हैं।


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