फूलों की खेती से किसानों के घर आई खुशहाली
कुटुंबा प्रखंड में किसान कृषि के नए तकनीक को अपना रहे हैं। यहां के किसान रबी एवं खर
कुटुंबा प्रखंड में किसान कृषि के नए तकनीक को अपना रहे हैं। यहां के किसान रबी एवं खरीफ के अलावा स्ट्राबेरी एवं फूलों की खेती के प्रति अपना कदम बढ़ाया है। गरीबी की बोझ से बोझिल एवं कम जमीन वाले किसान ऐसी खेती की ओर कदम बढ़ाए हैं। दधपा गांव के किशोरी मालाकार ने फूल की खेती से अच्छी आय प्राप्त कर रहा है। यह परिवार मंदिर में फूल, माला एवं प्रसाद बेचने का काम करता है।
संजय मालाकार ने किशोरी के द्वारा किए गए फूल की खेती को ओर देख अपना कदम इस खेती की ओर बढ़ाया है। संजय की मां शांति कुंवर घर पर रहकर वैवाहिक मौसम में गांव में शादी वाले घरों में साज सामान देकर कुछ आमदनी प्राप्त करती है। संजय अपनी गरीबी में भी लीज पर जमीन लेकर फूलों की खेती करना शुरु किया। फूल की खेती से चार लड़की एवं तीन लड़का समेत अन्य परिवार को बेहतर तरीके से भरण पोषण करने लगा है। पिछले तीन वर्ष से फूल की खेती कर यह अपनी बड़ी पुत्री को बीए पास करा पत्रकारिता की पढ़ाई का पूरा खर्च वहन कर रहा है। दूसरी पुत्री नौवीं में पढ़ रही है तथा तीसरी व चौथी पुत्री वर्ग चार में। बड़ा पुत्र बीए, दूसरा मैट्रिक तथा तीसरा दूसरे क्लास में पढ़ रहा है।
संजय ने बताया कि उसने कोलकाता से चेरी, चीना व गेंदा का पौधा लाकर अंबा के सतबहिनी स्थान के निकट खेत में लगाया है। बताया कि चेरी का पौघा एक हजार रूपये में एक हजार, चीना का पौधा चार सौ रूपये हजार तथा गेंदा का पौधा पांच सौ रूपये हजार लाया है। फूल से अब तक उसे 8 से 10 हजार रूपये की आमदनी हुई है। संजय ने कहा कि वह इस धंधे से खुश है।
संजय ने बताया कि कृषि विभाग ने फूल की खेती करनेवाले किसानों को किसी प्रकार का लाभ अब तक नहीं दिया है। खेती करनेवाले लोग अपने दम पर खेती कर रहे हैं।