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आठ जिलों के कैदियों के लिए दाउदनगर उपकारा बना क्वारंटाइन जेल

उपेंद्र कश्यप दाउदनगर (औरंगाबाद)। अनुमंडल मुख्यालय स्थित उपकारा को मगध और शाहाबाद प्रमंड

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 11:35 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:09 AM (IST)
आठ जिलों के कैदियों के लिए दाउदनगर उपकारा बना क्वारंटाइन जेल
आठ जिलों के कैदियों के लिए दाउदनगर उपकारा बना क्वारंटाइन जेल

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)। अनुमंडल मुख्यालय स्थित उपकारा को मगध और शाहाबाद प्रमंडल के आठ जिलों के लिए क्वारंटाइन जेल बनाया गया है। यहां 14 दिन रहने के बाद ही वे अपने जिले की जेल में शिफ्ट होंगे। जो भी आरोपित इन जिलों में गिरफ्तार किए जाएंगे, उन्हें सबसे पहले दाउदनगर में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन रहना होगा। बिहार में बनी 12 क्वारंटाइन जेल में दाउदनगर भी शामिल है।

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सहायक जेल अधीक्षक बिपिन बिहारी सिंह ने बताया, अरवल, जहानाबाद, आरा व औरंगाबाद के पुरुष कैदी तथा बक्सर, कैमूर, रोहतास व गया जिले के सिर्फ महिला कैदियों के लिए यहां जगह दी गई है। उपरोक्त सभी आठ जिलों में जो भी व्यक्ति किसी भी आरोप में गिरफ्तार किया जाएगा, उसे सबसे पहले इस उपकारा में रहना होगा। तय अवधि पूरी करने के बाद जो जिस जिले से आया होगा, उसे वहां भेज दिया जाएगा। यहां बुधवार को 661 कैदी थे, इसमें मात्र 106 स्थानीय बताए गए हैं। बाकी सभी विभिन्न जिलों से आए हैं।

खाली की गई थी जेल :

बताया गया कि जेल में करीब 100 कैदी स्थानीय थे और ढाई सौ कैदी औरंगाबाद जेल से यहां शिफ्ट किए गए थे। सभी कैदियों को क्वारंटाइन जेल बनाए जाने से पहले सेंट्रल जेल गया भेज दिया गया था। जेल खाली करने के बाद इसे क्वारंटाइन जेल बनाई गई। तब विभिन्न जिलों से कैदी लाकर यहां रखे जाने लगे। बड़ा परिसर, कम कैदी होना खासियत :

बड़ा परिसर व क्षमता से कम कैदी होना क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाने के पीछे मुख्य वजह मानी जा रही है। इस जेल में निर्माण के बाद से अभी तक क्षमता इतने कैदी कभी नहीं रखे जा सके। इस उपकारा की क्षमता 560 कैदी की है। जबकि निर्माण से अभी तक कभी भी 100 कैदी ही रहे हैं। बताया गया कि अभी क्षमता से जो अधिक कैदी हैं, उनको कम करना है। इसके लिए औरंगाबाद व जहानाबाद जिला के जिलों के लिए चालान काटा जाना है। सूत्र के अनुसार जेल आइजी ने मार्च महीने में उपकारा का विजिट किया था। तब वह परिसर, यहां उपलब्ध सुविधा और संसाधनों को देखकर संतुष्ट होकर गए थे। इसके बाद ही इसे क्वारंटाइन जेल बनाया गया। यहां मानव संसाधन की भी कमी नहीं बताई गई है।


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