एपीएचसी अंबा में इलाज के लिए मछली की तरह छटपटाते हैं मरीज
कुटुंबा प्रखंड मुख्यालय स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंबा बदहाली के दौर से गुजर रहा है। यहां मरीजों को मर्ज की जगह दर्द मिल रहा है। अस्पताल में इलाज के लिए मरीज मछली की तरह छटपटा रहे हैं। अस्पताल के ओपीडी में ही केवल मरीजों का इलाज होता है। इमरजेंसी में इलाज के लिए छह किलोमीटर दूर रेफरल अस्पताल कुटुंबा या जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जाना पड़ता है। प्रखंड मुख्यालय अंबा होने के कारण क्षेत्र के अधिसंख्य भाग इस अस्पताल से जुड़ा है परंतु अस्पताल में सुविधाओं के कारण मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं। निजी क्लीनिक या दूर अस्पताल जाना मरीजों के लिए मजबूरी बन गई है। जनप्रतिनिधियों ने लगातार प्रयास कर इसे रेफरल अस्पताल बनाए जाने की मांग की परंतु स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया।

ओमप्रकाश शर्मा, अंबा (औरंगाबाद) : कुटुंबा प्रखंड मुख्यालय स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंबा बदहाली के दौर से गुजर रहा है। यहां मरीजों को मर्ज की जगह दर्द मिल रहा है। अस्पताल में इलाज के लिए मरीज मछली की तरह छटपटा रहे हैं। अस्पताल के ओपीडी में ही केवल मरीजों का इलाज होता है। इमरजेंसी में इलाज के लिए छह किलोमीटर दूर रेफरल अस्पताल कुटुंबा या जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जाना पड़ता है। प्रखंड मुख्यालय अंबा होने के कारण क्षेत्र के अधिसंख्य भाग इस अस्पताल से जुड़ा है परंतु अस्पताल में सुविधाओं के कारण मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं। निजी क्लीनिक या दूर अस्पताल जाना मरीजों के लिए मजबूरी बन गई है। जनप्रतिनिधियों ने लगातार प्रयास कर इसे रेफरल अस्पताल बनाए जाने की मांग की परंतु स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया। सुबह आठ से दो बजे तक होता है इलाज
जागरण टीम ने 2.45 बजे अस्पताल का पड़ताल किया तो बंद पाया। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. नागेंद्र प्रसाद सिन्हा ने बताया कि सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक मरीजों का इलाज किया जाता है। दो बजे के बाद अस्पताल बंद हो जाता है। मुख्यालय में अस्पताल होने के कारण 24 घंटे की सेवाएं जारी रहना अनिवार्य है परंतु लंबी अवधि से यह दुर्लभ है। दो चिकित्सक कर रहे मरीज का इलाज
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंबा में मात्र दो चिकित्सक कार्यरत हैं। एमबीबीएस चिकित्सक डा. आकांक्षा कुमारी एवं आयुष चिकित्सम डा. प्रदीप कुमार पाठक का पदस्थापन है। डा. आकांक्षा की सप्ताह में दो दिन मंगलवार व शनिवार को रेफरल अस्पताल कुटुंबा में ड्यूटी रहता है। इस दिन आयुष चिकित्सक के भरोसे अस्पताल का संचालन किया जाता है। जिस किसी तरह मरीजों का इलाज कराया जाता है। बाहर से दवा खरीद रहे मरीज
एपीएचसी अंबा में दवा का घोर अभाव है। इलाज कराने पहुंचते वाले मरीज को दवा बाहर से खरीदना पड़ता है। डा. नागेंद्र की माने तो अस्पताल में समान्य दवाएं है। जो दवा नहीं है उसे मंगवाने की प्रक्रिया चल रही है। अस्पताल में आपरेशन नहीं होता है जिस कारण इनडोर का दवा नहीं है। नए भवन में चल रहा है चिकित्सा कार्य
एपीएचसी अंबा दो वर्षों से नए भवन में संचालित हो रहा है। इसके पूर्व भवन अत्यंत जर्जर और खतरनाक बन चुका था। स्थानीय विधायक राजेश कुमार एवं स्वास्थ्य विभाग के पहल के बाद अस्पताल का नवनिर्मित भवन तैयार हुआ। भवन होने के बावजूद केवल ओपीडी का संचालन होने से मुख्यालय के अलावा अन्य गांव के ग्रामीणों को इलाज में परेशानी हो रही है। 24 घंटे सेवा बहाल करने की जरूरत ह : प्रमुख
प्रमुख धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि एपीएचसी अंबा में 24 घंटे सेवा बहाल करने की जरूरत है। चिकित्सक की संख्या बढ़ाई जाए। दवा की कमी को पूरा किया जाए ताकि मरीजों को बेहतर इलाज हो सके। मुख्य सड़क पर अस्पताल होने के कारण हमेशा दुर्घटनाएं होती रहती है। दो बजे तक अस्पताल संचालित होने के कारण इलाज में मरीजों को परेशानी हो रहा है।
Edited By Jagran