अटल व्यक्तित्व से प्रेरित युवा कर रहे देश की सेवा
औरंगाबाद। शुक्रवार को देश ने जिस विराट व्यक्तित्व के धनी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाया उनका दाउदनगर से भी जुड़ाव रहा है। वे न सिर्फ यहां आये थे बल्कि जब प्रधानमंत्री बने तो यहां के विवेकानंद मिशन स्कूल के बचों की टोली ने उनसे दिल्ली संसद भवन स्थित पीएम कक्ष में जाकर मुलाकात की थी।
औरंगाबाद। शुक्रवार को देश ने जिस विराट व्यक्तित्व के धनी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती मनाया उनका दाउदनगर से भी जुड़ाव रहा है। वे न सिर्फ यहां आये थे, बल्कि जब प्रधानमंत्री बने तो यहां के विवेकानंद मिशन स्कूल के बच्चों की टोली ने उनसे दिल्ली संसद भवन स्थित पीएम कक्ष में जाकर मुलाकात की थी। विद्यालय के निदेशक डॉ.शम्भू शरण सिंह कहते हैं कि सत्य निष्ठा के दीप्तिमान सितारा, भारतीयता और सांस्कृतिक परंपरा एवं विकास के प्रखर पैरोकार अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात वर्ष 2002 में हुई थी। यह सुनहरा अवसर बेहद प्रेरक उत्साहवर्धक एवं यादगार है। कहा कि उनके साथ विवेकानंद स्कूल के बच्चों की एक बड़ी टोली को भी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वाजपेई जी के साथ बच्चों की टोली में फोटोग्राफी का सेशन हम सबके जीवन में कुछ ऊर्जा का संचार कर गया। इस कारण उनसे मिले बच्चों में कई डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, भूगर्भ शास्त्री जैसे क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का योगदान कर रहे हैं। कहा कि वाजपेयी जी जैसे विराट व्यक्तित्व से मुलाकात के साथ लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही का साक्षी बनना भी अतिशय आनंद एवं जीवन पथ में स्मरणीय पल जोड़ दिया।
उनके ठहाके से मन की घबराहट हो गई खत्म : सीतेश
फोटो : 26 एयूआर 05
अग्रसेन मेडिकल कॉलेज हिसार में एमबीबीएस, एमएस डॉ. सीतेश वत्स ने कहा कि अटल जी से मिलना एक अदभुत क्षण था। एक बड़े व्यक्तित्व से मिलने की ़खुशी भी थी और मन में कुछ घबराहट भी था। उनसे बातचीत के दौरान उनकी हंसी और ठहाकों ने सारा माहौल हल्का कर दिया। मन शांत हो गया। इतने सहजता से वे मिले थे। वह पल आज भी याद है। उनकी कविता की ये पंक्ति ''क्या हार में क्या जीत में कितित नहीं भयभीत मैं'' अपने आप में उनके व्यक्तित्व की सारी कहानी कहती है। उनकी कविताएं और उनके शब्द हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत रहेंगें।
120 सेकेंड वाजपेयी के साथ : आलोक
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न्यूयार्क में मेडिटरेनीयन शिपिग कंपनी(एमएससी) में सीनियर मरीन इंजीनियर के पद पर कार्यरत आलोक सिंह कहते हैं-भारतवर्ष के प्रधानमंत्री होकर भी बच्चों से यूं संजीदगी से मिलना और बातें करना, घुटनों के हालिया ऑपरेशन के दर्द के बावजूद, प्रोटोकॉल से हटकर खुद खड़े हो हम बच्चों के साथ फोटो के लिए खड़े हो जाना, हमसे हमारे दिल्ली भ्रमण के बारे में पूछना, वाजपेयी जी के व्यक्तित्व की सरलता और गहराई हम सब के लिए आदर्श हैं। उनकी सादगी एवं मृदुल स्वभाव को मैं अपने जीवन में उतारना चाहता रहा। उस 120 सेकेंड की मुलाकात ने मेरे चरित्र को सु²ढ करने के लिए 120 वर्षों का ''''जीवनवायु'''' दिया था।