आर्थिक तंगी से जूझ रहा ओबरा का कालीन उद्योग
सुरेंद्र प्रसाद वैद्य ओबरा (औरंगाबाद)। प्रखंड मुख्यालय के कालीन उद्योग आधुनिकता की दौर में स्थि
सुरेंद्र प्रसाद वैद्य, ओबरा (औरंगाबाद)। प्रखंड मुख्यालय के कालीन उद्योग आधुनिकता की दौर में स्थिति बदहाल हो गई है। एक समय ऐसा था कि ओबरा की कालीन यूपी के भदोही तक जाती थी। भदोही की तरह ओबरा कालीन भी विख्यात थी। जहां पर कालीन उद्योग के साथ-साथ गांवों में भी कारीगर कालीन तैयार कर अपना जीविकोपार्जन करते थे। कल तक जहां इन उद्योगों को दूर-दूर तक ख्याति प्राप्त थी एवं इसमें जुड़े लोग आर्थिक रूप से खुशहाल थे, पर आज उद्योग अंतिम सांसें गिन रही है। ओबरा का कालीन उद्योग पूर्णत: बंद हो गई है। बता दें कि यह कालीन उद्योग भारत नहीं बल्कि विदेशों में ही विख्यात रहा है। यहां के कुछ बुनकरों को ऊंच कोटि के कालीन बुनाई देती है। मो. मोखतार के द्वारा स्व. अहमद अली को 1972 में राष्ट्रपति के द्वारा पुरुस्कार से नमाजे गए थे। आज कालीन के दौरा पं. जवाहर लाल नेहरू की खूबसूरती देख ओबरा की कालीन चार चांद लगा गए थे। बुनकरों को विकसित करने हेतू 1974 में ओबरा महफील कालीन सेंटर में कार्य प्रारंभ कार्य गई थी। वहीं 1986 में तत्कालीन डीएम सुरेंद्र प्रसाद की निर्देश पर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण औरंगाबाद में महफील ए कालीन ओबरा प्राथमिक सहकारी सहयोग समिति 1988 से 1987 तक 200 गरीब युवक को परिक्षित किया गया। बुनकरों, गरीब बेरोजगार को देखते हुए तत्कालीन डीएम अरुनिष चावला, ओबरा बीडीओ विमल चौधरी के माध्यम से एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवाकर बुनकरों को रोजी रोटी देने को निर्देश दिया गया, उसके बाद स्थिति बदहाल हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 29 नवंबर 2012 को ओबरा महफील कालीन कालीन केंद्र में पहुंचे थे। उन्होने महफील कालीन केंद्र के प्रबंधक राज नंदन प्रसाद से जानकारी प्राप्त की। जानकारी के बाद मुख्यमंत्री के द्वारा आश्वासन दिया गया था कि इस संस्था को फाउंडेरेशन बनाकर जो गरीब बुनकर है, उन्हें बैंक द्वारा जीविकोपार्जन हेतु उनसे कार्य करवाया जाए एवं उनका उत्पादक को ले क्रय करने, ताकि बुनकरों को रोजी रोटी मिल सके। वहीं 10 जुलाई 2020 को गोपनीय प्रभारी अमित कुमार एवं कुशल कार्यक्रम जिला पदाधिकारी पहुंचे थे। उनके द्वारा भी प्रबंधक को आश्वासन दिया गया। 15 अगस्त के बाद डीएम की बैठक कर आगे की कार्य की योजना बनाई जाएगी। गरीब बुनकर रोजी रोटी हेतू अन्य प्रदेश में काम के लिए जा रहे हैं। प्रबंधक राज नंदन प्रसाद ने बताया की लॉकडाउन में जो बाहर से प्रवासी लौटे है, उनकी स्थिति को सु²ढ़ करने हेतू 10 जुलाई 2020 को गोपनीय प्रभारी के द्वारा आश्वासन मिला है। फिलहाल यह उद्योग उदासीनता के कारण दम तोड़ने की स्थिति में पहुंच गई है।