दहेजबंदी व शराबबंदी से आया बिहार की छवि में सुधार : डा. नीतू
औरंगाबाद। बिहार दिवस समारोह में अपनी गायकी का जलवा बिखेरने पहुंची प्रख्यात गायिका डा. नीतू ने कहा कि दहेजबंदी से बिहार की छवि में सुधार आया है।
औरंगाबाद। बिहार दिवस समारोह में अपनी गायकी का जलवा बिखेरने पहुंची प्रख्यात गायिका डा. नीतू नवनीत ने दैनिक जागरण से बातचीत की। कहा कि सरकारी और सामाजिक प्रयासों से बिहार की छवि में सुधार आया है। शराबबंदी, दहेजबंदी और बाल विवाह बंदी से जुड़े सरकारी अभियानों ने बिहार की महिलाओं के हाथों को मजबूत किया है। डा. नीतू ने बिहार दिवस पर हम सब बिहारी यह संकल्प लें कि हम अपने दृढ़संकल्प और कर्तव्य परायणता से अपने राज्य का नाम रोशन करेंगे तभी बिहार की छवि बेहतर होगी। कार्यक्रम प्रस्तुत करने से पहले डा. नीतू ने कहा कि लोकगीतों की बदनामी फूहड़पन और अश्लीलता के कारण हुई है। अनेक गायक इसी कारण लोकगीतों से मुंह मोड़ रहे हैं। सच यह है कि लोकगीत हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है और इसकी मिठास हमारे जीवन को रसमय बनाए रखती है। लोकगीत मां की लोरी जैसे होते हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी के कई कार्यक्रमों में शिरकत कर चुकी डा. नीतू का जन्म वैसे तो रांची में हुआ है लेकिन वह पूरी तरह से बिहार के लोकगीतों के प्रति समर्पित हैं। अपनी संस्कृति का परचम लहराता रहे और देसज धुनों और देसी गानों की गूंज से हमारा जीवन गुंजित होता रहे। जिन गीतों को हमारी दादी- नानी और उनकी दादी-नानी ने गाया, बड़े प्यार से सहेजा, उन गीतों की परंपरा जारी रहना चाहिए। भिखारी ठाकुर और महेंदर मिसिर से लेकर ¨वध्यवासिनी देवी और शारदा सिन्हा तक ने बिहार के लोकगीतों पर काम किया है और इसे विश्वस्तरीय पहचान दी है। एक युवा कलाकार के तौर पर मेरी कोशिश होती है कि लोक गायकी के इन महान कलाकारों ने जो समृद्ध विरासत तैयार की है, उसी को थोड़ा आगे मैं भी बढ़ाऊं। डा. नीतू ने अपनी गायकी का ऐसा जलवा बिखेरा की दर्शक वाह-वाह करते रहे। डा. नीतू के पति दिलीप कुमार रेलवे अधिकारी हैं।