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स्वच्छ जल, हवा एवं सांस की सबको जरूरत : डा. शंभू शरण

विवेकानंद मिशन स्कूल में सोमवार को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर स्कूली बचों के बीच पौधों का वितरण किया गया। जिसे वे अपने घर ले जाकर रोपेंगे और उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी निभाएंगे। मौके पर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण की गई। निदेशक डा. शंभू शरण सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा की जो परिभाषा दी थी उसे सीबीएसई बोर्ड ने अपनाया है। विवेकानंद स्कूलों में भी गतिविधि आधारित सीखने की पद्धति को अपनाया है। बचों की प्रतिभा को निखारने के लिए पांच मंच बनाया है। उन्होंने आत्मोदय को परिभाषित करते हुए कहा कि इसका मतलब है आत्म उदय अर्थात स्वयं का उदय। यदि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अंतर्निहित क्षमता विकसित होगी तो समाज और अंतत देश का कल्याण होगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 09:20 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 09:20 PM (IST)
स्वच्छ जल, हवा एवं सांस की सबको जरूरत : डा. शंभू शरण
स्वच्छ जल, हवा एवं सांस की सबको जरूरत : डा. शंभू शरण

दाउदनगर (औरंगाबाद) । विवेकानंद मिशन स्कूल में सोमवार को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर स्कूली बच्चों के बीच पौधों का वितरण किया गया। जिसे वे अपने घर ले जाकर रोपेंगे और उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी निभाएंगे। मौके पर उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण की गई। निदेशक डा. शंभू शरण सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा की जो परिभाषा दी थी, उसे सीबीएसई बोर्ड ने अपनाया है। विवेकानंद स्कूलों में भी गतिविधि आधारित सीखने की पद्धति को अपनाया है। बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए पांच मंच बनाया है। उन्होंने आत्मोदय को परिभाषित करते हुए कहा कि इसका मतलब है आत्म उदय अर्थात स्वयं का उदय। यदि प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अंतर्निहित क्षमता विकसित होगी तो समाज और अंतत: देश का कल्याण होगा। कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा सबके लिए महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य और शिक्षा के बिना व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। राइट टू क्लीन वाटर, राइट टू क्लीन एयर और राइट टू ब्रेथ को सरकार ने भी मान्यता दी है। स्वच्छ जल, शुद्ध हवा और स्वच्छ सांस का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को है। कहा कि स्वामी विवेकानंद ऐसे संत थे जो जीवन पर्यंत मानवता को जगाने, आत्मविश्वास भरने और भारतीय सभ्यता संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए अथक प्रयास करते रहे। भारत को अंग्रेजी दासता से मुक्त कराने और आत्म के उत्थान के लिए अनंत ठोकरों को खाते हुए झंझावातों को सहते हुए भी प्रयत्नशील रहे। उन्होंने शिक्षा की परिभाषा दी कि शिक्षा मानव के अंतर्निहित विद्वता को अभिव्यक्त करने का विषय है। इसे सब ने अपनाया। प्रशासक सुनील कुमार सिंह, प्राचार्य चंद्रशेखर नायक एवं अन्य शिक्षकों ने स्वामी विवेकानंद की तस्वीर पर पुष्पांजलि की। बच्चों के बीच पौधों का वितरण किया और उन्हें प्रेरित करने का कार्य किया गया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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