Move to Jagran APP

सदर अस्पताल के गायब चिकित्सकों के मामले में डीएम ने लिया संज्ञान

औरंगाबाद। कोरोना महामारी के इस समय में चिकित्सक एवं नर्स दिन रात मरीजों की सेवा में लगे हैं पर सदर अस्पताल के कुछ चिकित्सक ऐसे है जिनके द्वारा कर्तव्यों का अनुपालन न कर ड्यूटी से गायब हैं। फरार चिकित्सक के बारे में दैनिक जागरण में सोमवार के अंक में भी खबर छपी थी। इसके चार दिन पहले भी हमने चिकित्सकों के गायब होने की खबर छापी थी। आखिरकार खबर का असर रंग लाया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 10:31 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 10:31 PM (IST)
सदर अस्पताल के गायब चिकित्सकों के मामले में डीएम ने लिया संज्ञान
सदर अस्पताल के गायब चिकित्सकों के मामले में डीएम ने लिया संज्ञान

औरंगाबाद। कोरोना महामारी के इस समय में चिकित्सक एवं नर्स दिन रात मरीजों की सेवा में लगे हैं पर सदर अस्पताल के कुछ चिकित्सक ऐसे है जिनके द्वारा कर्तव्यों का अनुपालन न कर ड्यूटी से गायब हैं। फरार चिकित्सक के बारे में दैनिक जागरण में सोमवार के अंक में भी खबर छपी थी। इसके चार दिन पहले भी हमने चिकित्सकों के गायब होने की खबर छापी थी। आखिरकार खबर का असर रंग लाया। तभी तो सोमवार को गायब चिकित्सकों के मामले को डीएम सौरभ जोरवाल ने गंभीरता से लिया है। डीएम ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. विकास कुमार से जब गायब चिकित्सकों की सूची मांगी तो पाया गया है कि छह चिकित्सक बिना बताए ड्यूटी से गायब हैं। गायब चिकित्सकों में डॉ. प्रकाश सिंह, डॉ. नदीम अख्तर, डॉ. कमलेश कुमार, डॉ. इस्तफा हलाल, डॉ. उदय कुमार एवं डॉ. सुभाष सिंह शामिल हैं। डीएम ने गायब चिकित्सकों से उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 56 के अंतर्गत कार्रवाई के लिए स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही साथ गायब चिकित्सकों पर कार्रवाई प्रारंभ की जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. अकरम अली से भी डीएम के द्वारा स्पष्टीकरण मांगा गया है कि उनके द्वारा गायब चिकित्सकों पर अभी तक क्या कार्रवाई की गई है उसकी जानकारी दें। डीएम के गोपनीय प्रभारी अमीत कुमार ने बताया कि चिकित्सकों की कमी को देखते हुए सोमवार को साक्षात्कार के माध्यम से नए चिकित्सकों की बहाली की जा रही है। साथ ही अपने कर्तव्य से अनुपस्थित चिकित्सकों को विधिवत नौकरी से विमुक्त करने की कार्रवाई शुरु की जा रही है। बताया कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 56 के अंतर्गत कार्रवाई का कड़ा प्रावधान किया है। जो अधिकारी या सरकारी कर्मचारी पर इस अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है तो जेल तक जाना पड़ सकता है। बता दें कि वर्तमान समय में सदर अस्पताल डीएम एवं डीडीसी की ऑक्सीजन से चल रही है। स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जो परेशानी झेलनी पड़ती है वह कहा नहीं जा सकता है। सीएस, डीएस से लेकर जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम कुमार मनोज तक सदर अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने में नाकामयाब रहे तो डीएम एवं डीडीसी अंशुल कुमार को सदर अस्पताल की व्यवस्था को देखना पड़ा। स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि डीडीसी को प्रतिदिन सदर अस्पताल का निरीक्षण करना पड़ रहा है। मोबाइल उठाना बंद कर दिए सीएस, डीएस व डीपीएम

loksabha election banner

सदर अस्पताल की हालत इतनी बिगड़ गई है कि सीएस, डीएस एवं डीपीएम मोबाइल उठाना बंद कर दिए हैं। ऐसी शिकायतें प्रति दिन मिल रही है कि पब्लिक को छोड़ दें विधायक से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन के अधिकारियों तक का मोबाइल उठाना भी बंद कर दिए हैं। अब सवाल उठता है कि जब सीएस, डीएस एवं डीपीएम मोबाइल उठाना बंद कर दिए है तो व्यवस्था कैसे सुधरेगी। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि डीएम, डीडीसी एवं एसडीएम जैसे अधिकारी एक बार में मोबाइल उठा लेते हैं। एक वरीय अधिकारी ने भी बताया कि रात को जब एक कांग्रेस नेता को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी और जब सदर अस्पताल में नहीं मिलने की शिकायत की गई तो वे सीएस एवं डीपीएम को फोन किया पर दोनों उनकी मोबाइल नहीं उठा सकें। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि फोन नहीं उठाने की शिकायत प्रभारी मंत्री से भी लिखित तौर पर की जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.