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डीएम व आइसीडीएस ऑफिस आमने-सामने पर 15 दिन बाद भी नहीं पहुंचता आदेश

जिलाधिकारी व समाहर्ता की गोपनीय शाखा और आइसीडीएस कार्यालय के बीच में डीएम के आदेश नहीं पहुंचने का मामला सामने आया है जबकि दोनों कार्यालय आमने-सामने ही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 10:02 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 10:02 PM (IST)
डीएम व आइसीडीएस ऑफिस आमने-सामने पर 15 दिन बाद भी नहीं पहुंचता आदेश
डीएम व आइसीडीएस ऑफिस आमने-सामने पर 15 दिन बाद भी नहीं पहुंचता आदेश

औरंगाबाद। जिलाधिकारी व समाहर्ता की गोपनीय शाखा और आइसीडीएस कार्यालय के बीच में डीएम के आदेश को दबा देने का मामला सामने आया है। दोनों कार्यालय समाहरणालय में आमने-सामने हैं। डीएम सौरभ जोरवाल ने 24 दिसंबर 2020 को नबीनगर की महिला पर्यवेक्षिका गीता कुमारी के खिलाफ प्रपत्र 'क' गठित कर एक सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने का आदेश जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (डीपीओ) आइसीडीएस रीना कुमारी को दिया है। डीएम के इस आदेश पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह आदेश अब तक जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को प्राप्त ही नहीं हुआ है।

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डीएम नेयह आदेश नबीनगर प्रखंड के गोमदाही निवासी बिपिन पासवान की पत्नी मिता देवी के सहायिका के पद पर चयन के संबंध में मिली शिकायत पर दिया है। शनिवार को जब डीपीओ से डीएम के इस आदेश पर कार्रवाई की जानकारी ली गई तो डीपीओ ने बताया की डीएम का यह आदेश उन्हें अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। बताया की डीएम का आदेश जैसे ही प्राप्त होगा एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई करते हुए महिला पर्यवेक्षिका के खिलाफ प्रपत्र 'क' गठित करते हुए डीएम के पास भेज दी जाएगी।

डीएम ने बताया की मामला उनके संज्ञान में है। अपने स्तर से वे इसे देख रहे हैं। डीएम ने 24 दिसंबर को आदेश दिया है और अब तक डीपीओ को मालूम तक नहीं है, यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मामले में कहीं न कहीं दाल में काला वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

पीड़ित पक्ष के प्रदीप यादव ने कहा की उन्होंने डीएम के इस आदेश को डीपीओ कार्यालय में पांच दिन पहले ही प्राप्त कराया है। प्रदीप ने आरोप लगाया है की डीएम के इस आदेश को दबा दिया गया है। हालांकि डीपीओ ने डीएम के इस आदेश को दबा देने के मामले से इन्कार कर रही हैं। क्या है मामला

सहायिका के पद पर चयनित मिता देवी ने डीपीओ के खिलाफ एडीएम के पास शिकायत दर्ज कराई थी। मिता का आरोप है की सहायिका के पद पर चयनित होने के बावजूद उसका चयन रद कर दिया गया। इसके बाद नए सिरे से चयन पत्र निकाला गया है। इस मामले में डीपीओ ने अपना लिखित पक्ष प्रस्तुत किया। डीएम के यहां जब मामले की सुनवाई की गई तो पाया गया की सहायिका के चयन में महिला पर्यवेक्षिका गीता कुमारी की भूमिका संदिग्ध है। चयन में उनकी निष्ठा पर प्रश्न चिह्न लगा है। डीएम ने वाद की सुनवाई के उपरांत चयन प्रक्रिया को संदिग्ध पाते हुए नए सिरे से चयन किए जाने का आदेश पारित किया और महिला पर्यवेक्षिका के खिलाफ प्रपत्र 'क' गठित कर रिपोर्ट करने का आदेश जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को दिया है।


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