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सोखा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

आद्रा नक्षत्र के अंतिम सोमवार को सोखा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। आद्रा में इस मंदिर में पूजा करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। सुबह पांच बजे से ही महिला एवं पुरुष श्रद्धालु कतार में खड़े रहते हैं। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही। जैसे-जैसे दिन बीत रहा था भीड़ बढ़ती गई। दोपहर तक हजारों भक्तों ने मंदिर में दर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 07:34 PM (IST)
सोखा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
सोखा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

नवीनगर (औरंगाबाद) । आद्रा नक्षत्र के अंतिम सोमवार को सोखा बाबा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। आद्रा में इस मंदिर में पूजा करने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। सुबह पांच बजे से ही महिला एवं पुरुष श्रद्धालु कतार में खड़े रहते हैं। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही। जैसे-जैसे दिन बीत रहा था भीड़ बढ़ती गई। दोपहर तक हजारों भक्तों ने मंदिर में दर्शन किया। मंदिर परिसर में भीड़ को देखते हुए बैरिकेटिग की गई थी। स्थानीय युवक भीड़ नियंत्रण करने के लिए पूरे दिन लगे रहे। पुलिस प्रशासन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण मंदिर परिसर के साथ मेले में अराजकता का माहौल था। मंदिर के पास वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था नहीं थी जिस कारण लोगों को श्रद्धालुओं को परेशानी हुई। जाम की समस्या से भक्त जूझते रहे। मान्यता है कि अगर किसी को विषैला सांप एवं बिच्छू काट ले और उस व्यक्ति को अगर जीवित अवस्था में मंदिर में पहुंच स्नान करा सोखा बाबा का पूजा करा दी जाए तो उसे कुछ नहीं होता है। भक्त मंदिर परिसर से मिट्टी उठाकर घर ले जाते हैं और अपने घरों में छिड़काव करते हैं ताकि कोई विषैला जीव जंतु घर में प्रवेश न करे। सोखा बाबा मंदिर में बिहार, झारखंड, यूपी समेत कई प्रदेश से भक्त पहुंचते हैं। यह मंदिर इस इलाके में प्रख्यात है। उधर बिहार-झारखंड की सीमा पर करबारी नदी के तट पर स्थित आदिशक्ति मां गजना धाम मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पूरे दिन भीड़ रही। सुबह से ही भक्त कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। मंदिर परिसर की विशेषता यह है कि कच्ची मिट्टी से बने कड़ाही में ढ़ाई सौ ग्राम देसी घी में डेढ़ सेर आटा का प्रसाद बनता है और घी भी बच जाता है। जो भक्त यहां मनोकामना लेकर पहुंचते हैं उनकी दर्शन मात्र से पूर्ण हो जाती है।

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