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46 वर्षों से बस स्टैंड को तरस रहा शहर

वर्ष 1973 में गया से अलग होकर औरंगाबाद जिला बना। 45 वर्ष गुजर गए परंतु शहर को बस स्टैंड नहीं मिला। कहने को तीन बस स्टैंड है परंतु सभी बेकार।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 07:40 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 06:32 AM (IST)
46 वर्षों से बस स्टैंड को तरस रहा शहर
46 वर्षों से बस स्टैंड को तरस रहा शहर

वर्ष 1973 में गया से अलग होकर औरंगाबाद जिला बना। 45 वर्ष गुजर गए परंतु शहर को बस स्टैंड नहीं मिला। कहने को तीन बस स्टैंड है परंतु सभी बेकार। यात्री सुविधा के नाम पर स्टैंड में कुछ भी नहीं है। वर्ष 1997 में शहर के दानी बिगहा में आदर्श बस स्टैंड की परिकल्पना के साथ निर्माण शुरू किया गया। तत्कालीन डीएम अरुणीश चावला ने स्टैंड की नींव रखी। निर्माण प्रारंभ हुआ तो लगा कि यह स्टैंड बिहार का प्रख्यात बस स्टैंड होगा परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ। दानी बिगहा बस स्टैंड बदहाली की दौर से गुजर रहा है। यहां से स्टेशन एवं पटना के लिए वाहन खुलती है। रात में यह रैन बसेरा बन जाता है। बस स्टैंड के छत पर दर्जनों मजदूर रात बिताते हैं। स्टैंड में बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है। यात्रियों के खड़ा होने की व्यवस्था नहीं की गई है। शायद बिहार का यह पहला स्टैंड होगा जहां यात्री शेड नहीं है। शहर का प्रमुख रामाबांध बस स्टैंड शमशान घाट की जमीन पर चल रहा है। बारिश होने के कारण यह बस स्टैंड झील में तब्दील हो गया है। यहां सुविधाएं नहीं हैं। बसें सड़क पर लगती हैं जिस कारण यात्रियों को परेशानी होती है। दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। जब ज्यादा बारिश हो जाता है तो यह स्टैंड नरक बन जाता है। हरिहरगंज जाने के लिए खड़े यात्री रमाशंकर दूबे ने कहा कि यह स्टैंड जिला मुख्यालय का प्रमुख स्टैंड है पर हाल क्या है यह सामने है। यात्रियों को स्टैंड में बैठना मुश्किल हो गया है। बारिश होने पर यहां खड़ा नहीं हो सकते हैं। यहां से जिले के अलावा झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ एवं बंगाल के लिए बसें खुलती हैं। बस स्टैंड से जिला परिषद को सालाना करीब 22 से 24 लाख रुपये की आमदनी होती है, पर इसे बेहतर बनाने पर एक रुपये खर्च नहीं कर पाती है। बस स्टैंड में शौचालय तक नहीं है। लगता है जिला प्रशासन अथवा जिला परिषद का ध्यान बस स्टैंड के प्रति नहीं है। अगर हमें शहर का मालिक बना दिया गया तो सबसे पहले जिला परिषद के अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या का समाधान करेंगे ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। बस स्टैंड का होना जरूरी है।

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सिद्धेश्वर विद्यार्थी, नागरिक।

फोटो - 29 एयूआर 17 हम शहर के मालिक बनें तो सबसे पहले उच्च अधिकारियों से वार्ता करेंगे। इसकी समस्या का समाधान करेंगे। शहर में बस स्टैंड एक गंभीर समस्या है जिसका निराकरण जरूरी है।

नंदकिशोर प्रसाद, नागरिक।

फोटो - 29 एयूआर 18 अगर मैं शहर का मालिक बना तो विभाग के साथ मिलकर जल्द तीनों बस स्टैंड की स्थिति में सुधार कराएंगे। यात्रियों के लिए हर सुविधा बहाल करूंगा।

रविभूषण, नागरिक।

फोटो - 29 एयूआर 19 तीनों बस स्टैंड में महिलाओं के लिए हर सुविधाओं को बहाल करूंगी। स्टैंड में विशेषकर महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो रही है। शौचालय एवं पेयजल की व्यवस्था करूंगी ताकि परेशानी न हो।

जूली खानम, नागरिक।

फोटो - 29 एयूआर 20 शहर के मालिक बनने के बाद मैं वरीय नागरिकों के साथ बैठक करूंगा। बैठक के बाद जिला प्रशासन एवं जिला परिषद के अधिकारियों को ज्ञापन देंगे। बस स्टैंड की निर्माण के लिए आग्रह करेंगे।

बब्लू कुमार, नागरिक।

फोटो - 29 एयूआर 21 बस स्टैंड का होना जरूरी है। औरंगाबाद के बस स्टैंडों में महिलाओं के लिए कोई सुविधा नहीं है। शौचालय की सुविधा नहीं है। महिलाओं के लिए स्टैंड में अलग व्यवस्था होनी चाहिए। दानी बिगहा बस स्टैंड के निर्माण से यात्रियों को लाभ होगा।

प्रितम प्रज्ञा, नागरिक।

फोटो : 29 एयूआर 28 रामाबांध बस स्टैंड मरम्मत को लेकर कोई प्राक्कलन तैयार नहीं किया गया है। मामले की जांच कर डीडीसी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। बुड्को के द्वारा नया बस स्टैंड निर्माण कराया जा रहा है।

नीतू सिंह, जिप अध्यक्ष, औरंगाबाद।

फोटो - 29 एयूआर 22


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