चार साल से नहर में नहीं पहुंच रहा पानी, दो दर्जन गांवों में सिचाई बाधित
अरवल चार साल से आईयारा राजवाहा नहर में पानी नहीं आ रहा है जिसके चलते सदर प्रखंड में दो दर्जन से अधिक गांवों में सैकड़ों एकड़ खेतों की सिचाई नहीं हो पाती है।
अरवल : चार साल से आईयारा राजवाहा नहर में पानी नहीं आ रहा है, जिसके चलते सदर प्रखंड में दो दर्जन से अधिक गांवों में सैकड़ों एकड़ खेतों की सिचाई नहीं हो पाती है। लिहाजा, किसानों को बोरिग के सहारे खेतों की सिचाई करनी पड़ती है। खेतों तक बिजली विभाग द्वारा पोल-तार और ट्रांसफार्मर नहीं लगाए जाने से इसमें भी परेशानी है। किसान जान जोखिम में डालकर बांस-बल्ले के सहारे तार ले जाकर बोरिग चलाने को मजबूर हैं। इससे हमेशा करंट लगने का खतरा बना रहता है। लेकिन इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा। नहर के साथ ही नलकूपों की व्यवस्था इस उद्देश्य से की गई थी कि किसानों को बेहतर सिचाई का लाभ मिल सकेगा। लेकिन पिछले दो दशक में नलकूपों की हालात भी बद से बदतर होती चली गई। कहीं मोटर की खराबी तो कहीं ट्रांसफार्मर जलने या फिर तार नहीं होने के कारण चालू नलकूप मृत होते चले गए। देखरेख के अभाव में नहरों ने भी धोखा दे दिया। लिहाजा, समुचित सिचाई के अभाव में प्रति वर्ष धान का उत्पादन लक्ष्य प्रभावित हो रहा है। इससे किसानों में गहरा आक्रोश है। पानी के अभाव में खाली रह जाता है 60 प्रतिशत खेत, पलायन की मजबूरी किसानों को एक-एक धान के दाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पिछले कुछ वर्षों में पानी के अभाव में 60 प्रतिशत खेत खाली रह जा रहा है। किसान महेन्द्र सिंह, प्रकाश राय, सुरेश यादव, कमलेश कुमार ने बताया कि अब किसान खेती छोड़कर परिवार का भरण पोषण करने के लिए पलायन कर रहे हैं। सिचाई का साधन नहीं होने से किसानों को खेती के लिए मानसून तथा निजी संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। किसान ललन राय, बिनोद यादव, सुरेश महतो ने कहा कि दशकों पूर्व सरकारी स्तर पर नलकूप लगाए गए थे, लेकिन सभी बंद पड़े है, जिससे स्थिति और भयावह है। धान की खेती वाले इस इलाके में पानी की वैसे भी अधिक जरूरत है। पिछले चार सालों से जनप्रतिनिधियों द्वारा केवल आश्वासनों से ही खेतों की प्यास बुझाने का काम किया जाता रहा है। अंग्रेजों के समय बना नहर ही इस क्षेत्र में आज भी सिचाई का मुख्य साधन है। लेकिन धान का बिचड़ा डालने से फसल के तैयार होने तक कभी भी नहरों में पानी नहीं आता। 90 प्रतिशत से अधिक नलकूप भी बंद पड़े हैं।