आवासीय जमीन को खेतिहर बताकर रजिस्ट्री कराने के खेल का भंडाफोड़
जिले में आवासीय व व्यवसायिक जमीन को खेती की जमीन बताकर रजिस्ट्री कराने के खेल का भंडाफोड़ हुआ है।
जासं, अरवल : जिले में आवासीय व व्यवसायिक जमीन को खेती की जमीन बताकर रजिस्ट्री कराने के खेल का भंडाफोड़ हुआ है। ऐसा कर रैयतों द्वारा सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का चुना लगाया गया है। जिला निबंधन कार्यालय में ऑडिट के लिए पटना से आई टीम ने राजस्व की यह चोरी पकड़ी है। टीम ने कई लोगों को राजस्व की चोरी करने के आरोप में नोटिस किया है। राजदेव सिंह, सोना देवी, पिकी देवी, नंदकिशोर प्रसाद, सियाराम सिंह, सोनी कुमारी, आशा देवी पर राजस्व की चोरी करने का आरोप लगा है। ये सभी खरीददार लेखाबीघा, समनपुरा, बैदराबाद, डांगरा आहार, छोटीकी अहियापुर, धमौल गांव के निवासी हैं। इनमें से कुछ इलाके नगर परिषद क्षेत्र में भी आते हैं। इनके द्वारा तीन से लेकर 86 लाख तक की जमीन महज एक लाख रुपये में रजिस्ट्री करा ली गई। ऑडिट की टीम ने इन गांवों में पहुंचकर कई प्लॉट का भौतिक सत्यापन किया। सत्यापन के दौरान कई तथ्य उजागर हुए। कई आवासीय प्लॉट की चौहद्दी में सड़क न दर्शाकर जोत की भूमि दर्शाकर राजस्व की चोरी करने का पुख्ता प्रमाण मिला है। वहीं निर्माणाधीन आवास वाले प्लॉट को भी जोत की भूमि करार देकर निबंधन कराने का प्रमाण पाया गया। निबंधन पदाधिकारी ने सत्यापन के दौरान शिकायतकर्ता व रैयत को मौके पर बुलाकर सत्यापन किया। उन्होंने रैयतों को नोटिस भेजने व कार्रवाई करने की बात कही। इन लोगों को नोटिस भेजकर अब निर्धारित तय शुल्क जमा करने को कहा गया है अन्यथा जमीन नीलाम कर राशि की वसूली की जाएगी। राजस्व चोरी मामले में होगी कार्रवाई : निबंधन पदाधिकारी प्रभारी निबंधन पदाधिकारी राजेश रंजन ने कहा कि कुल 10 प्लॉट का सत्यापन ऑडिटर के द्वारा किया गया, जिसमें राजस्व की चोरी के प्रमाण मिले हैं। शिकायत मिलने पर अन्य जगहों पर भी प्लॉट का सत्यापन कर नोटिस किया जाएगा। इसमें अतिरिक्त जुर्माना के साथ राजस्व की क्षतिपूर्ति की राशि रैयत से वसूल की जाएगी। ग्रामीणों की लिखित शिकायत पर ही जांच टीम आई थी। मामला उजागर होने पर कई रैयतों ने निर्धारित राशि भी जमा कर दी है। ------------------------------
गलत पैमाईश बताकर राजस्व की होती है चोरी
भूमि की गलत पैमाइश बताकर रजिस्ट्री कराने वालों के द्वारा राजस्व की चोरी की जाती है। भूमि निबंधन अधिनियम के तहत आवासीय, व्यावसायिक व कृषि योग्य जमीन का अलग-अलग राजस्व शुल्क तय है। आवासीय व व्यावसायिक प्लॉट के ज्यादा, जबकि कृषि योग्य जमीन का कम राजस्व शुल्क देना होता है। ज्यादा राजस्व वाले भूमि को कम बताकर रजिस्ट्री कराने से खरीद-बिक्री करने वालों के राजस्व शुल्क में बचत हो जाता है। इस प्रकार का धंधा अरवल जिले के सभी पांच प्रखंडों में व्यापक रूप से किया जा रहा है।