सहेज नहीं पाते पानी, बांझ हो रही धरती रानी
अरवल। पुश्तैनी जमीन अब पानी बिना बांझ हो रही है।
अरवल। पुश्तैनी जमीन अब पानी बिना बांझ हो रही है। खेती के अलावा कोई रोजगार नहीं है। हाल यह कि कभी मंडी में बैलगाड़ी से अनाज लेकर बेचने जाते थे अब गांव को छोड़ दूसरे प्रदेशों में जीविकोपार्जन के लिए जाना पड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं पटना जिले की सीमा से सटे करपी प्रखंड क्षेत्र के पूरैनिया पंचायत की।
ग्रामीण व्यवस्था को सु²ढ़ करने को लेकर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत गांव की सूरत बदलने की पहल जरूर हुई। लेकिन कई बड़ी समस्याओं के निदान के बिना विकास के मापदंड पर इस इलाके को सु²ढ़ नहीं किया जा सकता है। वर्षा जल को संचित करने वाले पूर्वजों का आहार भी बदहाल हो गया है। गांव की पंचायत जिस भवन में लगती है वह कभी भी जमींदोज हो सकता है। खंडहरनुमा भवन में मुखिया अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर गांव की विकास की स्वरूप तैयार तो जरूर करते हैं। लेकिन कई योजनाएं आज भी यहां जमीन पर क्रियान्वित नहीं हो सका है। पंचायत स्तर पर सिचाई के लिए चार ट्यूबेल की मांग विभाग से की गई थी। लेकिन इस ओर सिचाई विभाग के अधिकारियों की नजर नहीं गई। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना पार्ट एक की अवधि भी समाप्त हो गई है। लेकिन पंचायत के गांव की कई गलियां जहां कच्ची है,वहीं नाली की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो सका है। स्वास्थ सुविधा के नाम पर पंचायत मुख्यालय में उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन जरूर है। लेकिन इसका संचालन कर्मी अपनी तरीके से करते हैं। पल्स पोलियो अभियान समेत अन्य टीकाकरण के समय ही उप स्वास्थ्य केंद्र का ताला खुलता है। हालांकि पांच वर्षों के अंदर पंचायत में मनरेगा के तहत दो करोड़ की लागत से एक तालाब की उड़ाई, दो पुलिया का निर्माण तथा आधा दर्जन पशु शेड बनाए गए हैं। इस पंचायत में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत दो करोड़ की लागत से सभी वार्डों में नल जल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है लेकिन नली गली का कार्य अभी भी अपूर्ण है। पंचायत एक नजर में
आबादी- 8000
मतदाता-5500
गांव की संख्या- नौ
सरकारी अस्पताल- एक सुनें स्थानीय लोगों की
नली गली का कार्य पूर्ण नहीं होने से कई गलियों में कीचड़ लगा रहता है। इसे लेकर तत्परता नहीं बरती गई। जिसके कारण समस्या उत्पन्न हो रही है।
रमेश कुमार
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सिचाई की सुविधा सबसे पहली जरूरत है। हम लोग इसे लेकर संबंधित अधिकारियों तथा जन प्रतिनिधियों तक फरियाद लगा चुके हैं लेकिन समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है।
उपेंद्र मिश्रा
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पंचायत सरकार भवन की बात की जा रही थी। हम लोगों को लगा था कि छोटे-मोटे कार्यों के लिए प्रखंड कार्यालय जाने की जरूरत नहीं रहेगी। लेकिन इसका निर्माण तो दूर की बात पुराने पंचायत भवन का जीर्णोद्धार भी नहीं हो सका।
अखिलेश वर्मा
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पंचायती राज व्यवस्था के तहत तो कई कार्य हुए हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवा की दिशा में पहल नहीं होने से हम लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
श्रीकांत शर्मा
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कहते हैं मुखिया
मेरे द्वारा पंचायत के सभी वार्डों में विकास योजनाओं को संचालित किया गया। लेकिन सीमित फंड के कारण कई बड़ी समस्या अभी भी कायम है। हालांकि हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि पंचायत में सभी सुविधा उपलब्ध हो। इसे लेकर संबंधित अधिकारियों से भी लगातार फरियाद करता रहा हूं।
राकेश कुमार
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