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अरवल के मिर्जा बिगहा गांव निवासी सेना के जवान की गोवा में हुई मौत

अरवल। जिले के परासी थाना क्षेत्र के मिर्जा बिगहा गांव में सोमवार की सुबह ऐसी मनहूस खबर आई जिससे सभी ग्रामीण स्तब्ध रह गए। लोगों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि गांव का हंसमुख चेहरा अब कभी भी उन लोगों के सामने नहीं आ सकेगा। रामाधार यादव का पुत्र उमाकांत कुमार सेना के जवान के रूप में गोवा में कार्यरत थे। गोवा में ही रविवार को सड़क दुर्घटना में इस जवान की मौत हो गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 11:23 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 11:23 PM (IST)
अरवल के मिर्जा बिगहा गांव निवासी सेना के जवान की गोवा में हुई मौत
अरवल के मिर्जा बिगहा गांव निवासी सेना के जवान की गोवा में हुई मौत

अरवल। जिले के परासी थाना क्षेत्र के मिर्जा बिगहा गांव में सोमवार की सुबह ऐसी मनहूस खबर आई, जिससे सभी ग्रामीण स्तब्ध रह गए। लोगों को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि गांव का हंसमुख चेहरा अब कभी भी उन लोगों के सामने नहीं आ सकेगा। रामाधार यादव का पुत्र उमाकांत कुमार सेना के जवान के रूप में गोवा में कार्यरत थे। गोवा में ही रविवार को सड़क दुर्घटना में इस जवान की मौत हो गई। सूचना मिलते ही घर में जहां चित्कार मच गया। वहीं ग्रामीण गमजदा हो गए। लोगों मातम फूसी करने के लिए रामाधार यादव के घर पहुंच गए, लेकिन किसी के पास इस बड़ी विपदा के सामने सांत्वना के कोई शब्द नहीं थे जिससे स्वजनों का ढाढंस बंधाया जा सके।

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छोटा भाई संजय कुमार ने बताया कि वह 16 जनवरी को जबलपुर में बेसिक ट्रेनिग में गया था। ट्रेनिग के बाद वह चार जुलाई को 28 दिन की छुट्टी लेकर घर आया था। छुट्टी समाप्त होने के दो दिन पहले उसकी तबियत खराब हुई। तबियत खराब होने के कारण एक सप्ताह और छुट्टी लिया। उन्होंने कहा कि जब तबियत सही हो गया तो नौ अगस्त को गोवा में जॉइनिग किया था। खेलने कूदने की उम्र 18 वर्ष की आयु में वह देश की रक्षा के लिए सेना का जवान बन गया था। परिवार के लोगों के साथ साथ ग्रामीणों को भी उमाकांत पर नाज था। लेकिन होनी को कुछ और हीं मंजूर था। रविवार को गोवा में ही वे कैंटीन की एक गाड़ी से वे दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इलाज के दौरान उनकी मौत भी हो गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार को इस दिवंगत जवान का पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा। फिलहाल परिजनों तथा ग्रामीणों को अपने लाड़ले के पार्थिव शरीर के आने का इंतजार है। दिन बहुरने की बजाय उजड़ गई रामाधार की दुनिया : बेटा सेना मैं शामिल हो गया था। अब रामाधार यादव को लगने लगा था कि अच्छे दिन आएंगे। परिवार में अभाव दूर हो जाएगा। लेकिन दिन बहुरने से पहले ही उनकी दुनिया उजड़ गई। जिस बेटे पर नाज था वह सदा सदा के लिए छोड़ कर चला गया। इसे कुदरत का क्रूर मजाक कहें या फिर भाग्य का खेल। उमाकांत कुमार काफी मिलनसार था। ग्रामीण बताते हैं कि वह हर किसी से बेहतर बर्ताव करता था। अचानक ऐसे होनहार युवक का चला जाना ग्रामीणों के लिए भी अपूरणीय क्षति है।


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