पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण
अररिया। मानव और प्रकृति के बीच एक दूसरे के सम्मान के साथ-साथ भरण पोषण का भी गहरा रिश्ता है। प्रकृति के साथ सभ्यता संस्कृति के इस रिश्ते को महिलाओं ने संवारा है। प्रकृति प्रदत्त उपहारों के लिए आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से उसकी पूजा करने की हमारी परंपरा ने इस रिश्ते को और अधिक प्रगाढ़ बनाया है।
अररिया। मानव और प्रकृति के बीच एक दूसरे के सम्मान के साथ-साथ भरण पोषण का भी गहरा रिश्ता है। प्रकृति के साथ सभ्यता, संस्कृति के इस रिश्ते को महिलाओं ने संवारा है। प्रकृति प्रदत्त उपहारों के लिए आभार व्यक्त करने के उद्देश्य से उसकी पूजा करने की हमारी परंपरा ने इस रिश्ते को और अधिक प्रगाढ़ बनाया है। छठ पूजा, तुलसी विवाह, अक्षय नवमी और वट सावित्री पूजा के जरिए विशेष तौर पर महिलाओं ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। जो साबित करता है पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। बरगद दीर्घायु एवं अमरत्व को प्रदान करने वाला वृक्ष है। यह पर्व आज अनवरत चली आ रही है। वट सावित्री को लेकर महिलाएं बरगद के पेड़ को कच्चे धागों की डोर में बांध कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की। वहीं दैनिक जागरण की ओर से छेड़ी गई मुहिम '' वट से बांधे सांसों की डोर'' के तहत बरगद के पौधे लगाए।
वट सावित्री से लेकर पर्यावरण शुद्धि तक बरगद
पूजा प्रियांशी कहती है कि कोरोना काल में जिस तरह से आक्सीजन की कमी रही हैं उसे देखते हुए भी इस साल लोग पौधारोपण के लिए काफी सचेत हुए और पेड़ की महत्ता को जाना है। दैनिक जागरण द्वारा चलाया जा रहा रही अभियान सही में काबिलेतारीफ है। संकल्प के तहत मैंने भी बरगद ़का एक पौधा लगाया।
लक्ष्मी देवी ने बताया कि वटवृक्ष अमूल्य संपदा है। यह ऑक्सीजन देने के साथ हमें ग्लोबल वार्मिंग, सूखा एवं बाढ़ जैसे कई आपदाओं से बचाता है। इसलिए मैं जागरण के अभियान से प्रेरित होकर मैंने भी एक बरगद ़का पौधा लगाया। प्रत्येक वर्ष एक पौधा जरूर लगाऊंगी और समाज के लोगों की भी हर मौके पर पौधा लगाने के लिए प्रेरित करूंगी। साथ ही मैं संकल्प लेती हूं कि जहां भी पेड़ की कटाई होगी वहां एकजुट होकर मैं उसका विरोध करूंगी।
बरगद ़का पौधा लगाने के बाद फूलो देवी ने कहां कि
वटवृक्ष का आध्यात्मिक महत्व भी है। यह दांपत्य जीवन में मधुरता लाता है साथ ही इच्छित संतान भी प्रदान करता है। महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं। इसकी छाया मन को शांत बनाए रखती है इसलिए मैं बरगद पेड़ की सुरक्षा एवं संरक्षण की जिम्मेदारी लेती हूं।
कृष्णा पोद्दार ने कहां। कि सबसे पहले मैं दैनिक जागरण परिवार का आभार व्यक्त करती हूं कि बरगद सहित अन्य पेड़-पौधे ़का संरक्षण समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा। इसलिए मैंने भी संकल्प के तहत एक पौधा लगाया और प्रतिवर्ष एक पेड़ लगाने का संकल्प लेती हूं।