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मैला आंचल में वर्णित भोलपुर मठ आज है उपेक्षा का शिकार

ससू रेणुग्राम (अररिया ) अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के गांव से सटे रानीगंज प्रखंड

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 12:45 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 12:45 AM (IST)
मैला आंचल में वर्णित भोलपुर मठ आज है उपेक्षा का शिकार
मैला आंचल में वर्णित भोलपुर मठ आज है उपेक्षा का शिकार

ससू , रेणुग्राम (अररिया ):

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अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के गांव से सटे रानीगंज प्रखंड के हिगना स्थित भोलापुर कबीर मठ का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है। कभी इस मठ को 700 बीघा जमीन थी। मगर अब एक एकड़ से भी कम जमीन बची है। मठ काफी उपेक्षा का शिकार है। रेणु जी के पुत्र दक्षिणेश्वर राय पप्पू बताते है कि इस मठ की चर्चा उनके पिताजी ने अपने कालजयी उपन्यास मैला आंचल में इसका सुंदर चित्रण किया है। वे कहते है कि वर्षों पूर्व सौरा नदी में खुदाई के दौरान मिले सुंदर व पौराणिक शिला भी भोलापुर मठ में रखा है। जिस पर सुंदर नक्काशी बना हुआ है तथा उस पर देवताओं की आकर्षक आकृति बनी है। यहां लोग इसकी पूजा भी करते है़। इसकी पुरातत्व विभाग को वर्षों पहले सूचना दी जा चुकी है। लेकिन इसको संरक्षित करने में किसी ने दिलचस्पी नही दिखाई। परिणाम स्वरूप मठ में यह ऐतिहासिक धरोहर उपेक्षित पड़ा है। पप्पू ने मठ के सौंदर्यीकरण के साथ साथ ऐतिहासिक शिला को संरक्षित करने की मांग सरकार से की है। -------------------------------------ससू, रेणुग्राम (अररिया) चार मार्च 1921 को तत्कालिक पूर्णिया वर्तमान में अररिया जिला के सुदूरवर्ती गांव औराही हिगना में जन्में अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के धूल भरे धरातल तल पर अब भी ढेर सारे ख्वाब हकीकत में तब्दील होना बांकी है। सोने के कलम से मानव मन की पीड़ा को उकेरने वाले कारीगर की धरती पर ढेर सारे बदलाव हुए है। सड़कों की धूल पर अलकतरा की काली पट्टी छा गई है।गायब हुई टप्पर गाड़ी की जगह मोटर वाहन ने ली है। ऐसे में बहलवान हीरामन बेरोजगार हो गया। मैला आंचल की इस धरती से कितने हीरामानों को बेरोजगारी के कारण परदेस जाना पड़ा। वर्ष 2015 -16 में लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक की लागत से औराही हिगना में बना रेणु समृति भवन अब भी उद्घाटन की बाट जोह रहा है। यहां पिछले साल 2020 में चार जनवरी को स्मृति भवन से एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर, यूपीएस, कंप्यूटर सेट माइक आदि चोरी हो गई। रेणु जी के छोटे पुत्र दक्षिणेश्वर प्रसाद राय पप्पू कहते है कि अब तक रेणु जी के नाम पर सिमराहा स्टेशन का नामकरण नहीं हो पाया है। गांव को हेरिटेज बिलेज का दर्जा नहीं मिला है जबकि 2007 में सिमराहा में स्थापित रेणु जी के आदमकद प्रतिमा अनावरण के मौके पर पधारे तत्कालीन गवर्नर आरएस गवई को इसको लेकर मांग पत्र सौंपा गया था आश्वासन भी मिला। -------------------------------------ससू, रेणुग्राम (अररिया):

अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु के जन्म के सौ वर्ष जन्म शाताब्दीपूरे होने के अवसर पर भारत, जर्मनी और उ•ा्बेकिस्तान के बौद्धिकों के संयुक्त तत्वावधान में एक अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन होगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए रेणु के छोटे पुत्र दक्षिणेश्वर प्रसाद ने बताया कि रेणु जी पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद/वेबिनार 3 और 4 अप्रैल को होगा। जिसमें 11 देशों के जर्मनी से बारबरा लोत्त्ज, उजबेकिस्ता से सिराजुद्दीन नर्मतोव, श्रीलंका से उपुल रंजीत, मारिशस से गुलशन सुखलाल, चीन से ग फू फिग, वांग ली, फ्रांस से क्रिस्टीना सोजानकी, जापान से इशिदा हिदेयकी, अमेरिका से रिचर्ड डेलेसी, अस्टेलिया से इयान बुलफोर्ड, पुर्तगाल से शिव कुमार सिंह और भारत से प्रेम कुमार मणि, भारत यायावर, बद्री नारायण, मणिनद्र नाथ ठाकुर, हितेंद्र पटेल, रश्मि चौधरी, दीपक राय, आशीष अग्निहोत्री, पल्लवी प्रसाद, देवीना अक्षयवर आदि लेखकों , इतिहासकारों, राजनीतिक विज्ञानियों, समाजशास्त्रीयों, अध्येताओं सहित अन्य विद्वानों के भाग लेने की संभावना है। इस परिसंवाद में उनके लेखन के बहाने समकालीन भारत, भारतीय गांव, ग्रामीण जीवन, रेणु की भाषा कथा की कला को समझने का प्रयास जारी है।


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