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मां दुर्गे के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की हुई पूजा

अररिया। मंगलवार को चौथे दिन स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना भक्तों के भक्ति भाव से की गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:08 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:14 AM (IST)
मां दुर्गे के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की हुई पूजा
मां दुर्गे के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की हुई पूजा

अररिया। मंगलवार को चौथे दिन स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना भक्तों के भक्ति भाव से की गई। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा को लेकर माहौल भक्तिमय बन गया है। अररिया ठाकुर बारी सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में भी पूजा अर्चना धूमधाम से हुई। यदि भक्त सच्चे मन से माता से मन्नत मांगते हैं तो माता भक्तों की मन्नत पूरा करती है। ठाकुरबाड़ी सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यही नहीं जिला समेत अन्य जिलों के लोगों भी दूर दराज से आकर ठाकुरबाड़ी दुर्गा मंदिर पूजा करने पहुंचते हैं। कोरोना को लेकर नियम के साथ होगा पूजा ।मंदिर के पुजारी कृष्णकांत तिवारी ने बताया कि पहले की तरह भक्तजन भीड़ लगाकर पूजा नहीं कर सकेंगे। कोरोना को लेकर मंदिर न्यास समिति की ओर से इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत शारीरिक दूरी के साथ माक्स और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा।

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मंदिर परिसर में नहीं लगेगा मेला

ठाकुरबारी सर्वजनिक दुर्गा मंदिर में दुर्गा मंदिर परिसर में कोरोना संक्रमण को लेकर मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा और किसी भी तरह का भीड़ नहीं होगा।

फारबिसगंज : मंगलवार को शारदीय नवरात्र के चौथे दिन आदि शक्ति दुर्गा मां के चौथे रूप स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना भक्तों द्वारा की गई। या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:. के भाव के साथ मां कुष्मांडा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से मंदिरों व पूजा स्थलों में लगी रही। शहर के वार्ड संख्या 20 स्थित हाई स्कूल रोड दुर्गा मंदिर में पिछले 50 वर्षो से शारदीय नवरात्र के अवसर पर दुर्गा पूजा होती आ रही है। यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत 1969 ई. में स्व. वानेश्वर प्रसाद वर्मा, विरेंन्द्र नाथ मुखर्जी, अशर्फी झा और द्विजेंद्र नाथ बोस उर्फ माल बाबू ने की थी। उस समय यह दुर्गा मंदिर आज की तरह पक्के भवन का नही था। दुर्गा पूजा के लिए बांस, बल्लों और तिरपाल आदि से पंडाल बनाया जाता था। हर साल पंडाल बनाने की परेशानी को देखते हुए पूजा समिति ने स्थानीय लोगों के सहयोग और चंदा से पक्का मंदिर का निर्माण कराया। रायगंज, बंगाल के मूर्तिकार हेमंत पाल ने सबसे पहले यहां माता दुर्गा की प्रतिमा बनाई थी। जब से आज तक हेमंत पाल ही यहां की मूर्ति बनाते आ रहे हैं।

वही पुरोहित स्वपन मजूमदार ने बताया कि चौथे दिन मां कूष्माडा की पूजा निरोगी काया एवं अखंड सुहाग के लिए किया जाता,इस मंदिर में आने वाले सभी की मनोकामना मैया पूरा करती है।

फुलकाहा : मां भगवती दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कुष्मांडा की पूजा मंगलवार को नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र समेत भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में धूमधाम से की गई। फुलकाहा स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी मनोज झा के अनुसार मां की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है। माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है। कहते हैं सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता अगर किसी में है तो वह केवल मां कुष्मांडा में हीं है। साथ हैं माना जाता है कि देवी कूष्मांडा सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। पूजा को लेकर पूजा पंडालों में काफी चहल-पहल देखी जा रही है। श्रद्धालुगण जोर शोर से नवरात्र पूजा की तैयारी में लग गए हैं। पूजा को लेकर सुबह एवं शाम में महिलाएं की काफी भीड़ रहती है। शाम के समय आरती देने छोटे-छोटे बच्चे भी आते हैं। गौरतलब है कि नरपतगंज प्रखंड मुख्यालय समेत फुलकाहा, घूरना, बसमतिया, सोनापुर, सुरसर, पलासी, मिरदौल, बढ़ेपारा, कन्हैली आदि जगहों पर पूजा की जा रही है।

संसू, रेणुग्राम के अनुसार शारदीय नवरात्र में पराशक्ति का प्रतीक देवी दुर्ग के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना धूमधाम के साथ की गई। इस मौके पर पूजा अर्चना को सिमराहा, मधुबनी, खवासपुर, सिमराहा कॉलोनी, पोठिया, कूड़वा लक्ष्मीपुर, मिर्जापुर, हिगिना, आदिवासी टोला मधुरा, नया नगर लहसनगंज, रमई, अम्हारा सहित अन्य देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना जाना दिनभर लगा रहा। वही पूजा को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है़। पूजा स्थलों की छटा निखरने लगी है।

सिकटी : शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मंगलवार को सीमावर्ती क्षेत्र के विभिन्न देवी मंदिरो में मां दुर्गा के चौथे स्वरूप माता कुष्मांडा की आराधना की गई। चौथे दिन की पूजा में मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा।


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