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बिना ऑपरेटर के छह वेंटिलेटर और 20 रेमडेसिविर के सहारे कोरोना से लड़ाई लड़ रहा स्वास्थ्य विभाग

- जिले में अब तक 28 मरीजों की गई कोरोना से जान - अधिक

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 May 2021 11:34 PM (IST)Updated: Sun, 02 May 2021 11:34 PM (IST)
बिना ऑपरेटर के छह वेंटिलेटर और 20 रेमडेसिविर के सहारे कोरोना से लड़ाई लड़ रहा स्वास्थ्य विभाग
बिना ऑपरेटर के छह वेंटिलेटर और 20 रेमडेसिविर के सहारे कोरोना से लड़ाई लड़ रहा स्वास्थ्य विभाग

- जिले में अब तक 28 मरीजों की गई कोरोना से जान

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- अधिकतर ए सिस्टमेटिक मरीजों के कारण जिले में फिलहाल कम हानिकारक है कोरोना वायरस

संवाद सूत्र अररिया: राज्य के अधिकतर जिलो में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। इस बीच जिले में भी कोरोना वायरस लगातार अपना पैर पसार रहा है। वर्तमान में एक ह•ार 390 मरी•ा इस वायरस से संक्रमित है। अब तक 28 लोगों की मौत इस वायरस से हो चुकी है। जिले में अगर उपलब्ध संसाधन की बात करें तो कहा जा सकता है कि ये भगवान भरोसे है। जिला प्रशासन के लाख दावों के बाबजूद अगर धरातल पर देखा जाय तो स्थिति बद से बदतर है। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा सदर अस्पताल अररिया में छह वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान की गई है। मगर ऑपरेटर को नियुक्त नहीं किया गया है। बिना ऑपरेटर के वेंटिलेटर की सुविधा लगातार जिलेवासियों को मुंह चिढ़ा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात करें तो वो लगातार भरोसा देते है कि जल्द ही ये सुविधा आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जायेगी। डीएम और सांसद का भी निरक्षण होता है मगर फिर बात वही ठाक के तीन पात। वेंटिलेटर मशीन को पूरी तरह तैयार हुए एक माह से अधिक का समय बीत चुका है। इस बीच कई मरीजों ने अपने जान से हाथ भी धो लिया है लेकिन मरी•ाों को वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अपने कर्मियों को पूर्णिया में वेंटिलेटर ऑपरेटर की ट्रेनिगं दिलाने का राग अपना रहा है मगर इस बीच कितने मरी•ाों को अपने जान से हाथ धोना पड़ेगा ये कहना मुश्किल है।

कागजों पर बना रहा था कंटेनमेंट जोन, डीएम ने लिया संज्ञान तो बची लोगो की जान- जिले में कोरोना वायरस की सजगता का आलम तो ये है कि अधिकतर कंटेनमेंट जोन कागजो पर ही बन जाया करती है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में अधिकतर मरी•ा अररिया और फॉरबिसगंज नप से सम्बंधित है। अररिया में तो खैर कही-कही कंटेनमेंट जोन न•ार भी आ रही थी। मगर फारबिसगंज में केवल कागजो पर ही कंटेनमेंट जोन तैयार किया जा रहा था। खैर डीएम साहब को मामले की जानकारी मिली। वो एसपी हृदयकांत के साथ खुद फारबिसगंज पहुंचे। मामला सही निकला। नप के अधिकारियों को जम कर फटकार लगाई। एक कर्मी की नोकरी भी खतरे में आ गई। फटकार के बाद फारबिसगंज नप प्रशासन को कोरोना के खतरे का अहसास हुआ। फिलहाल कंटेन्मेंट जोन बनाने में पूरी सजगता बरती जा रही है। मगर कब तक बरती जायेगी ये कहना मुश्किल है।

20 रेमडेसिविर के सहारे लड़ी जायेगी कोरोना से जंग- जिले में कोरोना वायरस से फिलहाल एक हजार 390 लोग संक्रमित है। अगर पिछले तीन सप्ताह के आकंड़ों पर गौर करें तो ये रफ्तार तीन गुणा तक बढ़ी है। माह के आरंभ में जहाँ 50 लोग इस वायरस के शिकार होते थे वही माह के अंत तक करीब 200 लोग इस वायरस के शिकार होने लगे है। अप्रैल माह में सर्वाधिक दो ह•ार 296 लोग इस वायरस के शिकार हुए है। हालांकि इस दौरान ठीक होने की तादात भी अच्छी है। अब तक 9 ह•ार 429 मरी•ा इस वायरस के शिकार हुए है वही 7 ह•ार 999 लोगो ने इस वायरस को मात भी दिया है। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जिले को 20 रैमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया है। सीएस द्वारा निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार इंजेक्शन को संधारित किया गया है। मगर जिस तरह जिले में प्रतिदिन 200 से अधिक मरी•ा इस वायरस के शिकार हो रहे है उससे रैमडेसिविर की कमी के समस्या से भी दो चार होना पड़ सकता है। जानकरी देते हुए डीपीएम रेहान असरफ ने बताया कि इंजेक्शन काफी गम्भीर मरी•ाों को दिए जाने का प्रावधान है। जिले में फिलहाल ऐसे मरी•ा नही के बराबर है इसलिए चिता की कोई बात नही है। अगर ऐसे मरीज चिन्हित होते है तो और इंजेक्शन की भी डिमांड स्वास्थ्य विभाग से की जायेगी।

अधिकतर ए सिस्टेमेटिक मरी•ा होम आईसोलेशन में है इलाजरत- कम संसाधन और अति निम्न स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच एक राहत की खबर है कि जिले में अधिकतर मरी•ा ए सिस्टेमेटिक है। जिनमे कोई गम्भीर लक्ष्ण नहीं है। ताजा आंकड़ो पर गौर करें तो एक ह•ार 390 मरी•ाों में एक 356 मरी•ा फिलहाल होम आईशोलेशन में इलाजरत है। करीब 97 फसीदी मरी•ाों का इलाज घर में किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ऐसे मरी•ाों की मॉनिटरिग भी की जा रही है। होम आइसोलेशन में इलाजरत मरी•ाों में अधिकतर इस वायरस से उबर कर ठीक भी हो रहे है। जानकारों की माने तो जिले में कोरोना वायरस की दूसरी लहर फिलहाल उतनी पैनिक नही है। मगर हमे सतर्कता बरतनी चाहिए। क्योंकि अगर इसका संक्रमण अधिक फैलता है तो जिले में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं को मद्देनजर इसे संभालना मुश्किल हो सकता है।

टीकाकरण केंद्र सहित अन्य जगहों पर सेनेटाइ•ा को लेकर मूक बना है नप और स्वास्थ्य विभाग- कोरोना वायरस के प्रसार के दौर में सेनेटाइ•ा एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जिससे संक्रमण फैलने के आसार काफी कम हो जाते है। मगर शहर के टीकाकरण केंद्रों और अस्पतालों की बात करें तो सेनेटाइ•ा करने में स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और नप पूरी तरह स्थिल बना हुआ है। डीएम के आदेश पर कोरोना संक्रमित मरी•ा वाले इलाके और सदर अस्पताल में रो•ा सुबह सेनेटाइ•ा कर सरकारी महकमा अपने कार्यो का इतिश्री कर रहा है। अब तो सदर अस्पताल के कर्मी भी कहने लगे है कि सदर अस्पताल किसी कार्य से आये है तो जल्द से जल्द कार्य खत्म कर घर लौट जाए। चारो तरफ सिर्फ कोरोना ही कोरोना है। दूसरी और टीकाकरण केंद्र का भी यही हाल है। इसलिए जानकर बताते है आप टीका लगाने केंद्र तक जरूर पहुंचे मगर पूरी सजगता के साथ।

कोरोना काल मे निजी अस्पताल ने खड़े किये हाथ, सरकारी अस्पताल के भरोसे मरी•ा- राज्य में कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ने में निजी अस्पतालों का भी अहम योगदान है। मगर जिले का दुर्भाग्य है कि फिलहाल जिले में एक भी निजी अस्पताल कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी सहभागिता नही निभा रहा है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सभी निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों ने अपने हाथ खड़े कर दिए है। सभी मरी•ा या तो जिले के सरकारी अस्पतालों पर निर्भर है या अन्य जिलों से अपना इलाज करा रहे है। जिले में दो दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम और अस्पताल मौजूद है मगर कोरोना का नाम सुनते ही सभी अपना हाथ खड़ा कर दे रहे है। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा भी जिले के किसी भी निजी अस्पताल को कोरोना मरीजों को भर्ती होने की इजाजत नहीं दी गई है। जो जिले में मौजूद स्वास्थ्य सेवाओं का खास्ताहाल बयां करता है।


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