टूटे तटबंध का नहीं हुआ मरम्मत, हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं लोग
अररिया। प्रखंड क्षेत्र के लोगों का बाढ़ के दर्द का पुराना रिश्ता है। प्राय हर वर्ष बाढ़ की त्र
अररिया। प्रखंड क्षेत्र के लोगों का बाढ़ के दर्द का पुराना रिश्ता है। प्राय: हर वर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर होना पड़ता है। बाढ़ के दौरान जन प्रतिनिधियों सहित प्रशासन द्वारा समाधान के लिए तरह-तरह के वादे किए जाते हैं, लेकिन बाढ़ के पानी थमने के बाद समाधान का वादा भी थम जाता है।
प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली बकरा व रतवा नदी में उफान आने पर हर वर्ष लोगों को बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है। ऐसा नहीं है कि बाढ़ से बचाव के लिए प्रयास नहीं किया गया, बल्कि बाढ़ से बचाव के लिए बकरा व रतवा नदी के किनारे तटबंध अवश्य बनाया गया, जो बाढ़ के दौरान पानी के दबाव के कारण कच्ची तटबंध प्राय: जगह - जगह टूट जाता है। जिससे फसलों, तटबंधों व कच्ची सड़कों को तहस - नहस कर अपना मार्ग बनाती है। वहीं बकरा नदी के किनारे बसे पिपरा कोठी, छपनियां, बच्चा खाड़ी, धर्मगंज, भट्टाबाड़ी, बकेनियां पासवान टोला, कोढ़ैली नदी के पश्चिम पार, काचमोह सहित अन्य गांवों के लोगों का वर्षात के मौसम में आवाजाही का नाव ही सहारा होता है। ऐसा नहीं है कि बाढ़ से बचाव के लिए उपाय नहीं किया जाता है। तटबंध व सड़क मरम्मती के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों खर्च किया जाता है, किन्तु स्थिति जस की तस बनी हुई है। वर्ष 2017 में आयी भीषण बाढ़ के दौरान बकरा नदी के किनारे बना तटबंध कोढ़ैली के समीप बांध कई जगहों पर टूट गया था, जिसकी अब तक मरम्मती नहीं की गई है। ग्रामीणों की मानें तो प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने के बाद भी अब तक ध्यान नहीं दिया गया। ना ही बाढ़ से बचाव का अब तक कोई स्थायी समाधान ही खोजा गया है। बकरा नदी से पिपरा विजवार, धर्मगंज, डेहटी उत्तर, डेहटी दक्षिण, भीखा, पेचैली, सुकसैना सहित अन्य पंचायतों के दर्जनों गांव लोग बाढ़ का दंश झेलते हैं। वहीं रतवा नदी की बाढ़ से प्रभावित गांवों में सोहन्दर, बरहकुम्बा व नकटाखुर्द पंचायतों के करीब डेढ़ दर्जन गांव शामिल हैं।