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भलुआ नदी पर पुल निर्माण नहीं होने से आवागमन बाधित

अररिया। प्रखंड के पहुंसी पंचायत अंतर्गत सुकसैना गांव के निकट कुआड़ी हरीरा सुंदरी मार्ग पर

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 10:54 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 10:54 PM (IST)
भलुआ नदी पर पुल निर्माण नहीं होने से आवागमन बाधित
भलुआ नदी पर पुल निर्माण नहीं होने से आवागमन बाधित

अररिया। प्रखंड के पहुंसी पंचायत अंतर्गत सुकसैना गांव के निकट कुआड़ी हरीरा सुंदरी मार्ग पर भलुआ नदी में पुल निर्माण नहीं होने से हजारों लोगों को सुंदर नाथ धाम शिवालय जाने आने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । ग्रामीणों का कहना है कि इस भलुआ नदी में पुल नहीं बनाना था तो नदी के दोनों तरफ लाखों रुपए खर्च कर पक्की सड़क बनाने की क्या आवश्यकता थी। इस मार्ग पर बरसात के दौरान तीन माह तो भलुआ नदी में अथाह पानी रहने से नदी पार करना मुश्किल हो जाता है। कई लोगों को कहते देखा गया कि सजनवा बैरी हो गए हमार, ना कोई इस पार ना कोई उस पार कलेजा दहल जाता है । विकास के इतने पायदान चढ़ने के बाद भी जनप्रतिनिधियों की लापरवाही व विभाग के द्वारा अनदेखी के कारण स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 वर्ष बाद भी नदी के दोनों ओर सड़क का निर्माण तो हो गया पर नदी में पुल नहीं बन सका । क्या विडंबना है जो भारत नेपाल के तीर्थ यात्रियों के लिए जाने आने का यह सुलभ मार्ग है। क्षेत्रवासियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सुकसैना गांव के निकट भलुआ नदी में शीघ्र पूल निर्माण कराने की मांग की है। क्षेत्र के समाजसेवी चंद्रानंद यादव, पवन कुमार साह, मुरारी गुप्ता, विक्रम बालाजी ,विनोद चौधरी, राजू राय इन सभी ग्रामीणों का कहना है कि सुंदर नाथ धाम इस भलुआ नदी से होकर जाने का सुगम रास्ता है लेकिन इस नदी में पुल नहीं रहने के कारण समस्त ग्राम वासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट लेने के समय ही आश्वासन देते हैं कि अगर मेरी सरकार आएगी तो इस भलुआ नदी में पुल निर्माण कराऊंगा। लेकिन सरकार आने के पश्चात जीत के जाने के पश्चात सत्ता के भोग में जनप्रतिनिधि मस्त हो जाते हैं। फिर जीते हुए जनप्रतिनिधियों को कोई वोटर याद नहीं आते हैं। इसलिए हम सभी ग्रामीणों के कष्टों का निवारण करने वाला कोई नहीं। पवन कुमार शाह कहते हैं कि कितने विधायक और सांसद आए और चले गए लेकिन आज तक भलुआ नदी में पुल निर्माण ना करवा सके। देखना यह होगा कि इस भलुआ नदी का उद्धार किनके कर कमलों से होगा।

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