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रमजान के रोजा मोकम्मल करने की खुशी में मनाई जाती है ईद

पूरी अकीदत सादगी व आपसी प्रेम व भाईचारगी के माहौल में मनाए पर्व रमजानुल मुबारक का आजमते

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 10:23 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 10:23 PM (IST)
रमजान के रोजा मोकम्मल करने की खुशी में मनाई जाती है ईद
रमजान के रोजा मोकम्मल करने की खुशी में मनाई जाती है ईद

पूरी अकीदत, सादगी व आपसी प्रेम व भाईचारगी के माहौल में मनाए पर्व

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रमजानुल मुबारक का आजमते कुरान से है गहरा संबंध

अपने अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा करने की गई अपील

फोटो नंबर 12 एआरआर 02 से 05 तक

कमर आलम, अररिया: रमजानुल मुबारक के तीस रोजा मोकम्मल करने की खुशी में रोजेदार भाई बहन ईद का पर्व मनाते है। रमजानुल मुबारक के रोजे और अब ईद पर्व को लेकर विभिन्न मुस्लिम और सामाजिक संगठन के अलावा तमाम उल्माएकराम ने अपने विचार दिए है।जमाते इस्लामी हिद अररिया के प्रवक्ता और सदभावना मंच के सचिव इस्लामिक स्कॉलर मु मोहसिन ने कहा कि अभी पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौड़ से गु•ार रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा जारी लॉक डाउन और गाइड लाइन का पालन करते हुए तमाम लोगों ने रमजान के रोजे ,नमाज और तरावीह को श्रद्धा के साथ अदा किया वैसे ही ईद पर्व भी तमाम लोग पूरी अकीदत ,सादगी और आपसी प्रेम व सछ्वावना के साथ मनाएं।मु मोहसिन ने कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सभी लोग अपने अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा करें ।मु मोहसिन ने कहा कि कोरोना को लेकर भयभीत न हो बल्कि सावधानी बरतें ,बीमार हैं तो इलाज करें ,किसी तरह का एक इंसान दूसरों के साथ अमानवीय व्यवहार नही करे अल्लाह से डरें। उन्होंने कहा कि चार चीजें अपनी •िादगी मे अपना लें तो दुनिया और आ़खेरत दोनों में कामयाबी निश्चित है।उन्होंने कहा कि अल्लाह से हमेशा डरें और किसी की बुराई न करें। किसी के अमानत में खयानत न करें ,अश्लीलता से दूर रहें और हराम से बचकर हलाल की रोजी खाएं। जामा मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना आफताब आलम मु•ाहिरी ने कहा कि अब रमजान खत्म होने को है और खुशियों का पर्व ईद की आमद है। उन्होंने कहा ईद एक ऐसी खुशी का नाम है जिसका इंते•ार रमजान शुरू होते ही होने लगता है और रो•ा के साथ साथ ईद की तैयारी में लग जाते हैं।लेकिन अफसोस कि बात है कि पिछले साल की तरह ही इसबार भी कोरोना महामारी के चलते रो•ा और ईद दिनों फीका फीका सा रह गया। उन्होंने कहा पिछले साल इतने खराब हालत नहीं थे। इसबार मरने वालों की तादाद काफी ज्यादा है। ऐसे में मास्क लगाकर ही घर से निकलें ,सामाजिक दूरी का पालन करे और हाथों को बार बार साबुन से धोएं ।सावधानी से ही हम इस महामारी से बच सकते हैं ।उन्होंने कहा कि पूरे महीने में मस्जिदें वीरान रही लोगों ने घरों में ही नमाज और तरावीह अदा की। ऐसे ही सभी लोग ईद की नमाज भी भीड़ में पढ़ने के बजाए अपने अपने घरों में ही अदा करें ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रह सके।

ऑलं इंडिया पयामे इंसानियत फोरम के सचिव मौलाना मोसव्वीर आलम नदवी चतुर्वेदी ने कहा की रमजान हमसे रुखसत हो रहा है। एक माह का रो•ा और अकीदत के साथ इबादत एक तरह का सालाना तरबियत है।ताकि रमजान की तरह ही साल का बाकी सभी महीने भी इबादत में गु•ारे।पूरी दुनिया को इंसानियत का पैगाम देने वाली ये फोरम लोगों से इस कोरोना आपदा की घड़ी से धैर्य और इंसानियत की सेवा में गु•ारने की अपील करता है। मौलाना ने कहा हमें डरने नही बल्कि हालात से मुकाबला करने की जरूरत है। ऐसा देखा जा रहा है कि कोरोना के कारण इंसानियत खत्म हो रही है। पीड़ित लोगों के साथ जी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। वो कहीं से भी मुनासिब नही है। अभी नफरत की नही लोगों को मुहब्बत की जरूरत है। ऐसे मौके पर इंसानियत के नाते एक दूसरों की हर संभव मदद करें ।

मदरसा इस्लामिया यतीमखाना अररिया में प्रिसिपल मौलाना शाहिद आदिल ने कहा कि रमजानुल मुबारक का अजमते कुरान से गहरा संबंध है ।क्योंकि इसी माहे मुबारक में शबे कदर में कुरान पाक ना•िाल हुई थी। जो दुनिया के तमाम इंसानों की हिदायत वाली किताब है। इसलिए इस माहे मुबारक को जश्ने कुरान का महीना भी कहा जाता है। उन्होंने लोगों से अपील किया कि फितरा की अदायगी हर हाल में ईद की नमाज से पहले कर दें।ताकि गरीब लोग भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें।क्योंकि इसके द्वारा कमियों का कुफ्फारा और गरीबों की मदद हो जाती है।


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