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जयंती पर याद किए गए कवि नागार्जुन

संसू फारबिसगंज (अररिया) स्थानीय पीडब्ल्यूडी परिसर में कवि नागार्जुन की जयंती पर नागाजु

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 01:16 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 01:16 AM (IST)
जयंती पर याद किए गए कवि नागार्जुन
जयंती पर याद किए गए कवि नागार्जुन

संसू, फारबिसगंज (अररिया): स्थानीय पीडब्ल्यूडी परिसर में कवि नागार्जुन की जयंती पर नागार्जुन स्मृति समारोह का आयोजन गुरूवार को किया गया।

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इंद्रधनुष साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित समारोह की अध्यक्षता संवदिया के प्रधान संपादक मांगन मिश्र मार्तण्ड एवं संचालन सन्नी प्रकाश ने किया। मौके पर सभाध्यक्ष मार्तण्ड रचित नवीनतम गजल संग्रह अंधियारा है यहां का विमोचन भी किया गया। उपस्थित साहित्यकारों द्वारा नागार्जुन की तस्वीर पर पुष्प अर्पण के पश्चात वक्ताओं ने नागार्जुन के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। पूर्व प्रधानाध्यापक सुरेन्द्र प्रसाद मण्डल, हिन्दी सेवी अरविन्द ठाकुर, संस्था के सचिव विनोद कुमार तिवारी, प्रधानाध्यापक हर्ष नारायण दास, कवि सुनील दास एवं मार्तण्ड ने बताया कि नागार्जुन हिन्दी एवं मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। अनेक भाषाओं के ज्ञाता तथा प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार नागार्जुन ने हिन्दी के अतिरिक्त मैथिली, संस्कृत एवं बांगला में मौलिक रचनाएं भी की तथा मैथिली, संस्कृत एवं बांगला से अनुवाद कार्य भी किया। नागार्जुन का मूल नाम बैद्यनाथ मिश्र था और संस्कृत में इनकी रचना इसी नाम से है। हिन्दी में उन्होंने नागार्जुन और मैथिली में यात्री नाम से रचनाएं की। उनकी रचनाओं में युगधारा, खिचड़ी विप्लव देखा हमने, प्यासी पथराई आंखे, नई पौध, बाबा बटेसरनाथ, पुरानी जुतियों का कोरस, दुखमोचन, रतिनाथ की चाची, वरुण के बेटे, बलचनामा आदि प्रमुख हैं। पत्रहीन नग्न गाक्ष मैथिली काव्य संग्रह के लिए वे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुए थे। इसके अलावा भारत भारती सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान आदि से भी वे सम्मानित हुए ।

इसी अवसर पर परिषद् के वरिष्ठ सदस्य एवं साहित्यप्रेमी पूर्व प्रधानाध्यापक श्यामानन्द यादव को संस्था द्वारा स्वामी दयानन्द सरस्वती सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें धार्मिक ग्रंथ, साहित्यिक पुस्तक एवं डायरी देकर सम्मानित किया गया। जबकि श्री यादव ने इस सम्मान के लिए संस्था को आभार व्यक्त किया।मौके पर शिव नारायण चौधरी, वामदेव झा, ब्रह्मदेव पासवान, सुमित कुमार, कपिलेश्वर झा, सीताराम बिहारी सहित अनेक साहित्यप्रेमी और स्कूली बच्चे उपस्थित थे।


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